RAJASTHAN

राजस्थान के जिन गांवों में 1857 की क्रांति में आंदोलन हुआ, वहां स्मारक बनाए जाएंगे

राजस्थान के जिन गांवों में 1857 की क्रांति में आंदोलन हुआ, वहां स्मारक बनाए जाएंगे

अजमेर, 18 मार्च (Udaipur Kiran) । राजस्थान धरोहर प्राधिकरण के अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत ने कहा कि राजस्थान के जिन भी लोगों के पास 1857 की क्रांति से जुड़े दस्तावेज हैं, उनके बारे में प्राधिकरण के जयपुर में पर्यटन विभाग में संचालित मुख्यालय में जानकारी दी जा सकती है। उन्होंने बताया कि देश की आजादी में 1857 की क्रांति की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। इसलिए राजस्थान के जिन गांवों में 1857 की क्रांति में आंदोलन हुआ, वहां स्मारक बनाए जाएंगे। इस स्मारक में उन ग्रामीणों के नाम लिखे जाएंगे जिन्होंने बलिदान दिया या फिर अंग्रेजों की यातनाएं सही। जिन गांवों में स्मारक बनेंगे उन्हें स्वातंत्र गांव कहा जाएगा।

उन्होंने कहा कि 1857 की इस क्रांति में ही अंग्रेजों के खिलाफ आजादी के आंदोलन की नींव डाली। यह बात अलग है तब अंग्रेजों ने इस क्रांति को कुचल दिया। लखावत ने कहा कि अंग्रेजों द्वारा बताए इतिहास के मुताबिक आजादी के बाद अनेक लोगों ने स्वतंत्रता सेनानी की पेंशन भी प्राप्त कर ली, लेकिन जिन लोगों ने 1857 की क्रांति में बलिदान दिया, उनका इतिहास में बहुत कम उल्लेख है। स्वतंत्रता आंदोलन में राजस्थान की महत्वपूर्ण भूमिका रही है, इसलिए 1857 की क्रांति में भी राजस्थान के सैकड़ों गांवों में अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल बजा। तब अंग्रेजों ने हमारे इन ग्रामीण वीरों को मौत के घाट उतार दिया।

लखावत ने बताया कि 1857 की क्रांति में शहीद हुए ग्रामीणों के स्मारक को लेकर हाल ही में उनकी मुलाकात भजनलाल शर्मा से हुई। मुख्यमंत्री की सहमति के बाद ही यह निर्णय लिया गया है कि राजस्थान के जिन गांवों में 1857 की क्रांति में आंदोलन हुआ, वहां स्मारक बनाए जाएंगे। इस स्मारक में उन ग्रामीणों के नाम लिखे जाएंगे जिन्होंने बलिदान दिया या फिर अंग्रेजों की यातनाएं सही। लखावत ने कहा कि ऐसे शहीदों और क्रांतिकारियों के बारे में उन्होंने विस्तृत अध्ययन भी किया है। ऐसी कई किताबें हैं जिनमें 1857 की क्रांति के योद्धाओं का उल्लेख हैं। उनका प्रयास होगा कि ऐसे सभी योद्धाओं को सम्मान दिलवा सकें। जिस गांव में स्मारक बनेंगे उन पर फिलहाल एक करोड़ रुपए की राशि खर्च की जाएगी। लखावत ने कहा कि राजस्थान में महाराणा प्रताप जैसे योद्धा हुए हैं। जिन्होंने कभी भी आक्रमणकारियों की अधीनता स्वीकार नहीं की। आज भी हल्दी घाटी की मिट्टी को माथे पर लगाकर हम गौरवान्वित होते हैं। लखावत ने माना कि आजादी के बाद जो इतिहास लिखा जाना चाहिए था, वह नहीं लिखा गया। भगत सिंह जैसे क्रांतिकारियों की भूमिका को कम आंका गया। जबकि भगत सिंह जैसे क्रांतिकारियों की वजह से ही देश को आजादी मिली।

(Udaipur Kiran) /संतोष/संदीप

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