राजकीय सम्मान के साथ किया गया हवलदार का अंतिम संस्कार, बेटे ने दी मुखाग्नि
हिसार, 30 मार्च (Udaipur Kiran) । जिले के नारनौंद क्षेत्र के गांव थुराना निवासी एवं सेना में हवलदार सुधीर पानू की हृदय गति रूकने से मौत हो गई। लगभग 40 वर्षीय सुधीर पानू भारत-चीन बॉर्डर पर गलवान घाटी में ड्यूटी पर थे कि उन्हें यह अटैक आ गया। सुधीर का उनके पैतृक गांव थुराना में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। उनके करीब 10 वर्षीय बेटे जतिन ने अपने पिता को मुखाग्नि दी।
लोगों ने नम आंखों से अंतिम विदाई दी। हवलदार सुधीर पान्नू का पार्थिव शरीर जब गांव में पहुंचा तो लोगों ने शहीद सुधीर पानू अमर रहे के नारे लगाए। अंतिम संस्कार के दौरान लोगों की आंखें नम हो गई। हवलदार सुधीर पानू को श्रद्धांजलि देने के लिए हजारों लोग मौजूद रहे। लोगों ने कहा कि शहीद सुधीर पानू की शहादत कभी भुलाई नहीं जा सकेगी।
हवलदार सुधीर पान्नू का करीब दस साल का बेटा जतिन है जबकि 12 व 14 साल की दो बेटियां रिया व शिया हैं। तीनों भाई-बहन पढ़ाई करते हैं। सुधीर पानू ने भारतीय सेना में ज्वाइन करने के लिए काफी मेहनत की थी। सुधीर पानू का सपना था कि वह फौजी बनकर देश की रक्षा करे। इसी लक्ष्य के साथ सुधीर पानू ने आर्मी की तैयार करनी शुरू कर दी।
कड़ी मेहनत के बाद वर्ष 2003 में सुधीर पानू भारतीय सेना में भर्ती हो गया। इसके बाद उन्होंने चीन बॉर्डर सहित अनेक जगहों पर ड्यूटी करते हुए देश की रक्षा की। परिजनों ने शनिवार को बताया कि फिलहाल सुधीर पानू हवलदार के तौर पर अपनी सेवाएं रहा था और उनकी ड्यूटी लद्दाख में चीन बॉर्डर पर गलवानी घाटी में थी। आर्मी की और से जब हवलदार सुधीर पानू की मृत्यु की सूचना मिली तो परिवार में मातम छा गया।
(Udaipur Kiran) /राजेश्वर