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खनिज संपदा वाली जमीन पर राज्य सरकार टैक्स लगा सकती है या नहीं, संविधान बेंच ने फैसला सुरक्षित रखा

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नई दिल्ली, 14 मार्च (Udaipur Kiran) । सुप्रीम कोर्ट की नौ सदस्यीय संविधान बेंच ने इस मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है कि राज्य सरकार द्वारा खनिज संपदा वाली जमीन पर टैक्स लगाया जा सकता है या नहीं। चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने आठ दिनों की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। कोर्ट ने सभी पक्षकारों को लिखित दलील तीन-तीन पेज में दाखिल करने को कहा है।

इस मामले में राज्य सरकारों, खनन कंपनियों और विभिन्न लोक उपक्रमों ने 86 अपील दायर की है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि संविधान ने खनिज संपदा वाली जमीन पर टैक्स लगाने का अधिकार केवल संसद को ही नहीं दिया है बल्कि ये राज्यों के लिए भी है। ऐसे में राज्यों के अधिकार में कटौती नहीं होनी चाहिए। केंद्र सरकार ने कहा था कि केंद्र को खनिज संपदा वाली जमीन पर टैक्स लगाने का सबसे पहला अधिकार है।

इस मामले की शुरुआत इंडिया सीमेंट्स लिमिटेड और तमिलनाडु सरकार के बीच विवाद से हुई। इंडिया सीमेंट्स ने खनन लीज लेने के बाद तमिलनाडु सरकार को रॉयल्टी दे रही थी। तमिलनाडु सरकार ने इस रॉयल्टी के इंडिया सीमेंट्स पर एक और सेस लगा दिया, जिसके बाद इंडिया सीमेंट्स ने मद्रास हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इंडिया सीमेंट्स का कहना था कि रॉयल्टी पर सेस लगाना रॉयल्टी पर टैक्स लगाना है जो कि राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। तमिलनाडु सरकार का कहना था कि सेस भू-राजस्व के तहत है और ये खनिज संपदा के अधिकार की बात है जो राज्य सरकार लगा सकती है।

सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की बेंच ने 1989 में इंडिया सीमेंट्स के पक्ष में फैसला दिया। सात जजों की बेंच ने कहा था कि खनिज संपदा वाली जमीन पर टैक्स लगाने का अधिकार केवल केंद्र सरकार के पास है। सात जजों की बेंच ने कहा था कि राज्य सरकार रॉयल्टी लगा सकती है लेकिन उस पर टैक्स नहीं लगा सकती है।

उल्लेखनीय है कि नौ सदस्यीय संविधान बेंच में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस हृषिकेश राय, जस्टिस एएस ओका, जस्टिस बीवी नागरत्ना, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस उज्जवल भुईंया, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस एजी मसीह शामिल हैं।

(Udaipur Kiran) /संजय /आकाश

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