Uttrakhand

सत्संग से खुलता है भक्ति का द्वार : प्रचारिका बाई

हल्द्वानी, 17 मार्च (Udaipur Kiran) । महात्मा प्रचारिका बाई ने सत्संग की महिमा बताते हुए कहा कि सत्संग से भक्ति का द्वार खुलता है, क्योंकि सत्संग में आने से व्यक्ति के अंदर सेवा भावना उत्पन्न होती है। सेवा से भक्ति में प्रगाढ़ता आती है। उन्होंने ये बातें कुसुमखेड़ा ऊषा रूपक कॉलोनी स्थित सतपाल महाराज आश्रम में रविवार को आयोजित सत्संग में कहीं।

उन्होंने कहा कि सत्संग वास्तव में समस्त वेद पुराण उपनिषदों और धर्म ग्रंथों का सार है। सत्संग कलिकाल का एक ऐसा ज्ञान यज्ञ है, जिसमें व्यक्ति तन मन धन से सेवा, सद्भावना की आहुति अर्पण कर अपना इहलोक एवं परलोक दोनों सुधार लेता है। उन्होंने कहा कि सत्संग व्यक्ति को उस सत्य का बोध करा देता है, जो सत्य आदि, मध्य और अंत से परे है, अनादि है, अनंत है। इसे समय के सद्गुरु देव ने नाम बताया है जो व्यक्ति को उसके आत्मतत्व का ज्ञान करा देता है, वह निरंतर सांसों की माला में रमन करता है।

इस दौरान नैनीताल से आए महात्मा प्रभाकरानंद और साध्वी सुमन बहन ने भी विभिन्न धर्म ग्रंथों पर आधारित सुंदर व्याख्यान दिए।

इस अवसर पर विशेष रूप से ज्वाला दत्त पाठक, राधे राम, भुवन चंद्र उप्रेती, महेश चंद्र पांडे, गोपाल सिंह नेगी, सियाराम, श्याम सिंह नेगी, प्रेमचंद जोशी, मदन मोहन जोशी, कुंवर सिंह रौतेला, अजय उप्रेती, प्रेमलता बिष्ट, दीक्षा, शकुंतला, बसेरा, हेमा नेगी समेत अनेकों श्रद्धालु मौजूद रहें।

(Udaipur Kiran) /अनुपम गुप्ता/सत्यवान/रामानुज

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