Chhattisgarh

लोस 24 :बस्तर में भाजपा-कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष की प्रतिष्ठा भी दांव पर

दीपक बैज व किरण देव

जगदलपुर, 17 मार्च (Udaipur Kiran) । लोकसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही आचार संहिता प्रभावी हो गया है। प्रथम चरण में 19 अप्रैल को छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीट में से एकमात्र बस्तर सीट पर चुनाव होगा। नक्सल प्रभावित बस्तर में सुरक्षा की दृष्टिकोण से संभवत: प्रथम चरण में चुनाव तय किया गया है। छत्तीसगढ़ में इस बार के चुनाव में पहली बार होगा, जब प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बस्तर से होंगे। कांग्रेस ने दीपक बैज को विधानसभा चुनाव के कुछ दिन पहले ही प्रदेश अध्यक्ष बनाया था और किरण देव को विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व दिया है। इस स्थिति में बस्तर लोकसभा सीट पर प्रत्याशियों के साथ ही भाजपा-कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष की भी प्रतिष्ठा दांव पर होगी।

भाजपा ने लोकसभा चुनाव के घोषणा से पहले 02 मार्च को बस्तर लोकसभा सीट पर महेश कश्यप को प्रत्याशी घोषित कर दिया है। वहीं कांग्रेस अब तक बस्तर लोकसभा से अपना प्रत्याशी घोषित नही किया है। कांग्रेस में वर्तमान सांसद दीपक बैज का नाम बस्तर लोकसभा के लिए सबसे पहले नंबर पर माना जा रहा है। वहीं कोंटा विधायक कवासी लखमा के पुत्र हरीश कवासी भी बस्तर लोकसभा सीट के लिए दावेदारी कर रहे हैं। भाजपा ने सांसद दीपक बैज को बस्तर लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाने की संभावना को देखते हुए बस्तर में बढ़ते धर्मांतरण को मुद्दा बनाते हुए कार्टून बनाकर सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में वायरल कर रही है। दरअसल विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने इस तरह के ही कार्टून बनाकर इसका जमकर प्रचार किया था, और इस बार भी लोकसभा चुनाव के ऐलान के साथ ही एक बार फिर भाजपा की आईटी सेल इन कार्टून को जमकर वायरल कर रही है। कांग्रेस प्रत्याशी की घोषणा के बाद इस सीट पर चुनावी घमासान देखने को मिलेगा। फिलहाल भाजपा के एक मात्र प्रत्याशी महेश कश्यप अपने चुनावी प्रचार में लगे हुए हैं, इनके अलावा किसी भी दल के प्रत्याशी ने अब तक चुनाव प्रचार शुरू तक नही किया है।

विदित हो कि वर्ष 2019 में कांग्रेस के वर्तमान सांसद व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने लोकसभा चुनाव जीतकर 20 वर्ष तक भाजपा का गढ़ बन चुकी। इस बस्तर लोकसभा सीट पर कांग्रेस की वापसी कराई थी। यदि दीपक बैज को कांग्रेस पुन: बस्तर लोकसभा सीट से मैदान में उतारती है तो बदली हुई परिस्थिति में उनके सामने जीत दर्ज करना आसान नही होगा। वहीं दीपक बैज विधानसभा चुनाव हारकर पहले ही अपनी कमजोरी उजागर कर चुके हैं। यदि दीपक बैज लोकसभा का चुनाव नही जीत पाये तो उनके प्रदेश अध्यक्ष की भी प्रतिष्ठा दांव पर लग जायेगी। यह सर्वविदित है कि बस्तर लोकसभा सीट का विस्तार केरल राज्य जितना बड़ा होने से तथा नक्सल प्रभावित संवेदनशील इलाका होने से जिसकी प्रदेश में सत्ता होती है, उसके प्रत्याशी के जीतने की अधिक संभावना होती है। यही कारण है कि पिछली बार यहां से 20 वर्ष तक भाजपा का गढ़ बन चुके बस्तर लोकसभा सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी रहे दीपक बैज जीते थे। दूसरी ओर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष किरण देव के राज्य गठन के बाद से भाजपा के प्रभुत्व वाली इस सीट पर भाजपा की वापसी कराने की चुनौती होगी। यह भी विदित हो कि वर्ष 1998 के चुनाव के पहले यह सीट कांग्रेस का गढ़ रही थी, तब लगातार सत्ता में कांग्रेस की सरकार रही। वर्ष 1980 में कांग्रेस के लक्ष्मण कर्मा जीते थे। वर्ष 1984, 1989, 1991 का चुनाव जीतकर कांग्रेस के मनकूराम सोढ़ी ने इसे सीट को कांग्रेस का मजबूत किला बना दिया था।

उल्लेखनीय है कि नक्सल प्रभावित बस्तर लोकसभा सीट के लिए कुल 1957 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। इसमें सुरक्षा कारणों से 234 मतदान केंद्र का स्थल परिवर्तन किया गया है। इसमें बीजापुर के 99, दंतेवाड़ा के 42, कोंटा के 42, नारायणपुर के 41, चित्रकोट के नौ और जगदलपुर विधानसभा क्षेत्र का एक मतदान केंद्र है। इसमें 56 मतदान केंद्र में मतदान दल तीन दिन पहले, 169 केंद्र में दो दिन व शेष मतदान केंद्रों के लिए एक दिन पहले मतदान दल को भेजा जाएगा। बस्तर लोकसभा सीट के लिए 14,66,337 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।

छत्तीसगढ़ में पहले चरण में 19 अप्रैल को सिर्फ एक बस्तर सीट के लिए मतदान होगा। इसके बाद दूसरे चरण में तीन सीटों पर 25 अप्रैल को वोटिंग होगी, इस चरण में जिन सीटों पर मतदान होंगे उनमें राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर शामिल है। वहीं तीसरे चरण में 07 मई को कुल 07 सीटों पर मतदान होगा, 07 मई को जिन सीटों पर मतदान होगा उनमें सरगुजा, रायगढ़, जांजगीर-चंपा, कोरबा, बिलासपुर, दुर्ग और रायपुर शामिल हैं। इस तरह छत्तीसगढ़ में 11 सीटों पर लोकसभा चुनाव चुनाव तीन चरणों में संपन्न होंगे। इसके नतीजे चुनाव आयोग की ओर से 04 जून को मतगणना के बाद जारी किए जाएंगे।

(Udaipur Kiran) / राकेश पांडे

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