Haryana

कैथल में वकीलों ने उपायुक्त के खिलाफ किया प्रदर्शन

लघु सचिवालय के में गेट के बाहर प्रदर्शन करते वकील

डीसी वकीलों के साथ किए गए दुर्व्यवहार पर मांगे माफी

बार परिसर में लंबे समय से बंद पड़ी कैंटीन के भवन को प्रयोग करने का मामला

वकीलों ने लघु सचिवालय में किया प्रदर्शन

कैथल, 25 अप्रैल (Udaipur Kiran) । बार परिसर में लंबे समय से बंद पड़ी कैंटीन को वकीलों द्वारा प्रयोग में लेने के मामले पर पैदा हुए विवाद के बाद गुरुवार को वकीलों ने डीसी की कार्यप्रणाली के विरोध में लघु सचिवालय के बाहर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन का नेतृत्व बार एसोसिएशन के प्रधान बलजिंदर सिंह मलिक ने किया। वकीलों ने लघु सचिवालय के में गेट के बाहर प्रदर्शन कर नारेबाजी की।

बार एसोसिएशन का कहना है कि जब तक उपायुक्त वकीलों के साथ किए गए दुर्व्यवहार पर माफी नहीं मांगते तब तक राजस्व अदालतों का बहिष्कार और विरोध जारी रहेगा। प्रदर्शन के दौरान बोलते हुए बार एसोसिएशन के प्रधान बलजिंदर सिंह मलिक ने कहा कि बरसों से खाली पड़े कैंटीन के हाल का प्रयोग बार एसोसिएशन वकीलों के बैठने के लिए करना चाहती थी। वकीलों ने तो इस बारे में डीसी को लिखित एफिडेविट देने की बात तक भी की थी। इस पर डीसी ने मौखिक रूप से हां भी कर दी और एसोसिएशन ने कैंटीन की अच्छी तरह से साफ सफाई करवा कर वहां पर वकीलों के बैठने की व्यवस्था कर दी।

इसके बाद नौ अप्रैल को अचानक तहसीलदार और नायब तहसीलदार पुलिस बल के साथ वहां आए और कैंटीन को ताला लगा कर चले गए। जब इस बारे में एसोसिएशन के सचिव गौरव वधवा ने उन्हें कहा कि कैंटीन को ताला मत लगाओ और प्रधान के आने की इंतजार करें, हम बैठकर बात कर लेंगे तो दोनों अधिकारियों ने सचिव के साथ बदतमीजी की। जब इस मसले पर बातचीत करने के लिए वकीलों का शिष्टमंडल डीसी प्रशांत पवार से बातचीत करने के लिए उनके कार्यालय में मिला तो उसे समय डीसी ने उसे ठीक से बातचीत भी नहीं की और उनका अपमान किया। जब तक डीसी बार एसोसिएशन के सीनियर साथियों से किए गए अपमान की माफी नहीं मांगते तब तक उनका विरोध जारी रहेगा।

कैंटीन के कमरे को प्रयोग करने के मामले पर डीसी के व्यवहार से खफा बार एसोसिएशन ने 15 अप्रैल को डीसी, एसडीएम और तहसीलदार की अदालतों का बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया। बार एसोसिएशन में फैसला किया था कि कोई भी वकील इनकी अदालतों में नहीं जाएगा। यदि कोई वकील उनकी अदालत में गया तो उस पर 11 हजार रुपए पर जुर्माना लगाया जाएगा। डीसी वकीलों की गैर मौजूदगी में विचाराधीन मामलों को खारिज कर रहे हैं। प्रधान मलिक ने कहा कि ने यह डीसी का तानाशाही रवैया है जिसके बारे में वे राज्य के राज्यपाल, मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को शिकायत करेंगे।

(Udaipur Kiran) / नरेश

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