West Bengal

रचनात्मकता के लिए असंतोष जरूरी : डॉ शुभ्रा उपाध्याय

च

कोलकाता, 16 मार्च (Udaipur Kiran) । आज के इस यांत्रिक समय में सन्नाटे भी बोल उठेंगे और शब्दों के फूल तथा सांस्कृतिक चेतना के विरल साधक : कृष्ण बिहारी मिश्र जैसी पुस्तकों पर चर्चा मानवता के कोमलतम् पक्ष के बचे रहने का संकेत है। भाव और विचार सबके पास होता है किन्तु काव्य सृजन की साधना हैं शिल्प, शैली एवं कहन। इस तरह के कार्यक्रम के लिए आयोजक बधाई के पात्र है। ये कहना हैं खुदीराम बोस सेन्ट्रल कॉलेज की प्रभारी प्रिंसिपल डॉ. शुभ्रा उपाध्याय के जो श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय के तत्वावधान में शनिवार को पुस्तकालय कक्ष में आयोजित एक शाम किताबों के नाम” के चतुर्थ आयोजन में बतौर अध्यक्ष बोल रहीं थी।

कार्यक्रम में रविप्रताप सिंह काव्य कृति सन्नाटे भी बोल उठेंगे”, रामपुकार सिंह की काव्य कृति शब्दों के फूल” तथा डॉ. कमल कुमार एवं दिव्या प्रसाद की पुस्तक ”सांस्कृतिक चेतना के विरल साधक : कृष्णबिहारी मिश्र” पर विशेष चर्चा हुई। लेखकीय वक्तव्य के पश्चात समीक्षात्मक टिप्पणी शोध छात्रा पूजा मिश्र, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रीना सिंह एवं असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रंजीत कुमार ने की।

कुमारसभा के अध्यक्ष महावीर प्रसाद बजाज ने इस कार्यक्रम की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सत्संग एवं स्वाध्याय से स्वाभिमान का निर्माण होता है। श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय के अपने सारस्वत आयोजनों का यही एक आयाम है एक शाम किताबों के नाम”। महानगर के साहित्यकारों की सद्य प्रकाशित पुस्तकों में किन्ही चयनित तीन रचनाकारों की कृतियों पर चर्चा हेतु इस मंच की स्थापना की गई है। इसमें हिन्दी के अतिरिक्त भोजपुरी, मैथिली, राजस्थानी एवं अन्य भाषाओं की कृतियों पर भी चर्चा होगा।

(Udaipur Kiran) /ओम प्रकाश गंगा

Most Popular

To Top