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कोयला मंत्रालय ने 2030 तक 9 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को पार करने का लक्ष्य रखा

नई दिल्ली, 12 मार्च (Udaipur Kiran) । शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य की दिशा में कोयला मंत्रालय ने पहल शुरू कर दी है। मंत्रालय के मुताबिक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता बढ़ाने के साथ उसने कोयला व लिग्नाइट सार्वजनिक उप-क्रमों के लिए शुद्ध शून्य बिजली खपत की योजना बनाई है। भविष्य को देखते हुए कोयला क्षेत्र का लक्ष्य 2030 तक 9 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को पार करना है।

वर्तमान में कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल), एनएलसी इंडिया लिमिटेड (एनएलसीआईएल) और एससीसीएल सहित प्रमुख कोयला कंपनियों द्वारा पवन चक्कियों से स्थापित संयुक्त सौर क्षमता लगभग 1700 मेगावाट है। अतिरिक्त 851 मेगावाट का काम पूरा हो चुका है।

काेयला मंत्रालय खनन सुविधाओं में छत पर सौर और जमीन पर स्थापित सौर परियोजनाओं दोनों की तैनाती को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रहा है। खनन क्षेत्रों के भीतर सौर पार्क विकसित करने के लिए नई परियोजनाएं चल रही हैं। खनन के कार्बन प्रभाव को कम करने के लिए कोयला मंत्रालय ने कोयला कंपनियों को सौर ऊर्जा समाधान अपनाने में तेजी लाने के निर्देश जारी किए हैं।

इसमें सभी सरकारी भवनों की छतों पर सौर पैनलों की स्थापना और डी-कूल्ड क्षेत्रों और अन्य उपयुक्त भूमि पर सौर परियोजनाओं की स्थापना शामिल है। यह रणनीतिक पहल 2030 तक गैर-नवीकरणीय ईंधन-आधारित ऊर्जा स्रोतों से कुल बिजली स्थापित क्षमता का 50 प्रतिशत प्राप्त करने के सरकार के अद्यतन राष्ट्रीय विकास परिषद (एनडीसी) लक्ष्य के अनुरूप है।

कोयला मंत्रालय देश के ऊर्जा भविष्य को टिकाऊ और लचीले तरीके से सुरक्षित करने की स्थायी प्रतिबद्धता के साथ ऊर्जा क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देने और उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है। ‘नेट ज़ीरो’ बिजली खपत पहल के साथ, मंत्रालय टिकाऊ ऊर्जा प्रथाओं के लिए एक स्वर्ण मानक स्थापित करना चाहता है। जो अन्य क्षेत्रों के अनुकरण के लिए प्रेरणा के रूप में कार्य करता है। इस पहल का लक्ष्य न केवल एक हरा-भरा और अधिक टिकाऊ भारत बनाना है, बल्कि सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देना और देश की वैश्विक प्रति-स्पर्धात्मकता को बढ़ाना भी है।

(Udaipur Kiran) / बिरंचि सिंह

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