Delhi

गुर्दे के संक्रमणों की रोकथाम में एंटीबायोटिक दवाओं का विकल्प बन सकते हैं आयुर्वेदिक फार्मूले

नई दिल्ली, 18 मार्च (Udaipur Kiran) । देश में गुर्दे से जुड़ी बीमारियों में तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है। अध्ययन बताते हैं कि दवाओं एवं एंटीबायोटिक दवाओं का अंधाधुंध इस्तेमाल भी इस समस्या को जटिल बना रहा है। चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि गुर्दे समेत मूत्र से जुड़े समस्त विकारों को नियंत्रित करने में एंटीबायोटिक दवाओं की जगह जड़ी-बूटियों से बने आयुर्वेदिक फार्मूले एक प्रभावी विकल्प बन सकते हैं।

एमिल फार्मास्युटिकल की तरफ से आयोजित किडनी मंथन कार्यक्रम में एलोपैथी, आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा विशेषज्ञों ने अपने विचार व्यक्त किए। इस दौरान वैसे तो गुर्दे की सेहत के सभी पहलुओं पर विशेषज्ञों ने प्रकाश डाला लेकिन सबसे बड़ी बात इस दौरान यह उभकर आयी की वर्तमान समय में एक दर्जन से ज्यादा ऐसी जड़ी-बूटियां हैं जो मूत्र विकारों और गुर्दे के संक्रमण से बचाव और उसे सेहतमंद बनाए रखने में कारगर हैं। इतना ही नहीं यह फार्मूले प्रभावित गुर्दे और मूत्र मार्ग में हो चुके संक्रमण को भी ठीक करते हैं।

एसजीटी विवि के प्रोफेसर अवनीश पाठक ने अपने प्रजेंटेशन में ऐसे फार्मूलों का विस्तार से वर्णन किया । इनमें चंद्रकला रस, त्रिनेत्र रस, मूत्रकृच्छरान्तक रस, तारकेश्वर रस, चंद्रप्रभा वटी, वरुणादि क्वाथ, तृणपंचमूल क्वाथ, शतावर्यादि क्वाथ, काकोल्यादि क्वाथ, उत्पलादि क्वाथ, मुस्तादि क्वाथ, गोखरू, पुनर्नवा, गुडुची आदि शामिल हैं। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से अंधाधुंध इस्तेमाल के कारण एंटीबायोटिक दवाओं के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता पैदा हो रही है, उसके विकल्प के तौर पर इन फार्मूलों को अपनाया जा सकता है। ये फार्मूले न सिर्फ संक्रमण को रोकते हैं बल्कि गुर्दे की समग्र सेहत में भी सुधार लाते हैं।

बता दें कि एमिल फार्मा ने अपने गहन शोध के बाद गुर्दे के उपचार के लिए एक प्रभावी फार्मूला नीरी केएफटी बाजार में उतारा है। नीरी केएफटी 19 से अधिक जड़ी-बूटियों से बनी है। जिसमें पुनर्नवा, गोखरू, वरुण, कासनी, मकोय, पलाश, गिलोय आदि का मिश्रण है। कई अध्ययनों में इस फॉर्मूले को असरदार पाया गया है।

इस दौरान एमिल फार्मास्युटिकल्स के कार्यकारी निदेशक डॉ. संचित शर्मा ने कहा कि गुर्दे के उपचार को लेकर लोगों का रुझान पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों की तरफ बढा है। वे आधुनिक चिकित्सा के साथ-साथ इन्हें भी अपना रहे हैं जिससे अपेक्षाकृत उपचार ज्यादा सटीक हो रहा है।

डॉ. तेजस पटेल, अहमदाबाद, गुजरात के नेफ्रोलॉजिस्ट ने अपने प्रस्तुतीकरण में सीकेडी रोगियों के लिए नीरी केएफटी को निवारक के रूप में संदर्भित किया, जो आयन संतुलन में मदद करता है और यूरिया को कम करता है।

किडनी मंथन कार्यक्रम इंदौर के माई हास्पीटल के विशेषज्ञ डा. वैभव श्रीवास्तव ने गुर्दे की देखभाल और उपचार को लेकर एक प्रजेंटेशन दिया जबकि सहायक प्रोफेसर प्रीति चोपड़ा ने उपचार प्रबंधन की बारीकियों पर प्रकाश डाला।

(Udaipur Kiran) / अनूप

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