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संदेशखाली की पीड़ित महिलाओं ने सुनाई दर्द-ए दास्तां, इंसाफ की लगाई गुहार

संदेशखाली

नई दिल्ली, 15 मार्च (Udaipur Kiran) । संदेशखाली की पीड़ित महिलाओं ने राजधानी दिल्ली पहुंच कर हैवानियत की जो दास्तां सुनाई उसे सुनकर हर संवेदनशील व्यक्ति के रौंगटे खड़े हो जाएंगे। शरीर और दिल पर अपनी ही राज्य सरकार के दिए हुए दर्द से भीगी पलकें लिए अपने दर्द को सुनाती सुनीता (बदला हुआ नाम) बताती हैं कि आधी रात को कुछ लोग घर पर आते थे, उन्हें जबरन उठाकर ले जाते थे, रातभर मारते पीटते और दुष्कर्म करते, आवाज उठाने पर पति और बच्चों को मार देने की धमकी देते। रुंधे हुए गले से हिम्मत जुटाकर फिर सुनीता अपने साथ हुई हैवानियत की कहानी बयां करती और यह भी बताती हैं कि कैसे राज्य सरकारें उनकी आवाज को सुन कर भी अनसुना कर देती और पुलिस भी उन्हें फिर से शेख शाहजहां के गैंग के लोगों के पास ही भेज देते थे। यह कहानी संदेशखाली की रहने वाली सुनीता की ही नहीं बल्कि वहां रहने वाली करीब 700 से अधिक महिलाओं की है।

शुक्रवार को राजधानी दिल्ली पहुंची संदेशखाली की पांच पीड़ित महिलाओं ने अपने साथ हुए अत्याचार को बयां करने और इंसाफ की गुहार लगाने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। इसके बाद कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में संदेशखाली में दलित महिलाओं के हालत से पत्रकारों को रूबरू करवाया गया। पीड़ित महिलाओं का कहना है कि उनके छोटे बच्चों और परिवार वालों को लगातार हत्या की धमकी मिल रही है और राज्य सरकार उनकी कोई मदद करने के बजाय अपराधियों को ही बचाने में लगी है। इसका सबसे बड़ा सबूत यह है कि उन्होंने एससी-एसटी को उत्पीड़न से बचाने के लिए आवश्यक प्रिवेंशन ऑफ़ एट्रोसिटीज़ एंड प्रोटेक्शन ऑफ़ सिविल राइट्स एक्ट की धारायें भी आरोपितों पर नहीं लगायी हैं।

पश्चिम बंगाल के उत्तरी 24 परगना जिले के संदेशखाली में रहने वाली आदिवासी और दलित समाज की महिलाओं का आरोप है कि बीते कई वर्षों से टीएमसी का नेता शाहजहां शेख और उसके साथी दलित आदिवासी महिलाओं का सामाजिक,आर्थिक और शारीरिक शोषण करते रहे हैं। अगर कोई महिला उनका विरोध करती है तो उसके परिवार के लोगों के साथ मारपीट की जाती है और उनके बच्चों की हत्या की धमकी दी जाती है। पीड़ित महिलाओं का कहना था कि राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग, अनुसूचित जाति आयोग और महिला आयोग की टीम ने भी संदेशखाली का दौरा कर उन्हें इंसाफ दिलाने का वादा किया मगर राज्य सरकार के आश्रय के कारण शेख़ शाहजहां के गुर्गे आज भी खुले में घूम रहे हैं।

पीड़ित महिलाओं का कहना है कि शाहजहां शेख को भले ही सीबीआई ने हिरासत में ले लिया हो मगर उसके दो भाई सिराज शेख और आलमगीर लगातार पीड़िताओं को धमकी दे रहे हैं कि मीडिया और न्यायपालिका में विषय ठंडा पड़ने के बाद उन्हें कौन सहारा देगा। अगर उन्होंने अपना बयान नहीं बदला तो उनके परिवार के लोगों की हत्या कर दी जाएगी। पीड़ित महिलाओं ने मांग रखी कि शाहजहां शेख के दोनों भाइयों को भी सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किया जाए और संदेशखाली में भयमुक्त वातावरण का निर्माण किया जाए। दलित और आदिवासी समाज की महिलाओं ने आरोप लगाया कि शाहजहां शेख ने संदेशखाली के आसपास इस तरह का माहौल बना रखा है कि पुलिस और प्रशासन के लोग भी उसी के इशारे पर काम करते हैं। आदिवासियों की जमीन पर कब्जा और उन्हें बंधक बनाकर रखना शाहजहां शेख के आदमियों का काम है। इसके खिलाफ अगर कोई आवाज उठाता है तो टीएमसी के गुंडे उसके साथ मारपीट करते हैं और हथियार दिखाकर जान से मारने की धमकी देते हैं।

प्रधानमंत्री से भी लगाई मदद की गुहार

पीड़ित महिलाओं ने कहा कि राष्ट्रपति ने उन्हें सुरक्षा और न्याय का भरोसा दिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी उन्होंने संदेशखाली की महिलाओं की मदद की गुहार लगाई है। उन्होंने बताया कि जिन पीड़ित महिलाओं ने शिकायत की है उनके जान को खतरा है। वे वापस अपने घर जाने से डर रही हैं। खौफ इतना ज्यादा है कि वे वापस अपने घर जाने को तैयार नहीं है। इन पीड़ित महिलाओं में एक ऐसी महिला भी हैं जिसके साथ मार पिटाई होने से उसके गर्भ में पल रहे चार महीने के बच्चे की मौत हो गई। लड़कियों को पढ़ाई भी छोड़नी पड़ रही है, शादीशुदा दलित महिलाओं को अपने बच्चियों की चिंता है। पीड़ित महिलाएं अपने लिए सुरक्षा चाहती हैं।

(Udaipur Kiran) / विजयलक्ष्मी/प्रभात

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