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रामपुर तिराहा मामले में दो पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास की सजा

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई)

नई दिल्ली, 18 मार्च (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश मुजफ्फरनगर स्थित केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की अपर सत्र न्यायाधीश की एक अदालत ने रामपुर तिराहा मामले में दो आरोपितों काे आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

इसमें उत्तरप्रदेश की अर्द्धसैनिक बल पीएसी के तत्कालीन पुलिसकर्मी मिलाप सिंह एवं वीरेंद्र प्रताप का नाम शामिल है। अदालत ने एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। अदालत ने जुर्माने की पूरी राशि पीड़़िता तक पहुंचाने काे कहा है।

सीबीआई द्वारा जारी बयान के मुताबिक 15 मार्च को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (2) (जी), 392, 354 एवं 509 के तहत अदालत ने दोनों आरोपितों काे दोषी ठहराया और सोमवार को सजा सुनाई। जांच पूरी होने के बाद सीबीआई ने 21 मार्च 1996 को आरोप पत्र दायर किया था। आरोपितों पर रैली में बसों से जा रही महिलाओं के साथ छेड़़छाड़ और बलात्कार का आरोप है।

सीबीआई के मुताबिक, उत्तराखंड संघर्ष समिति ने 2 अक्टूबर 1994 को लाल किला दिल्ली में एक रैली का आयोजन किया था। उस रैली में भाग लेने के लिए पहाड़ी क्षेत्रों से लोग बसों में दिल्ली आ रहे थे। उत्तर प्रदेश सरकार ने रैली में हिस्सा लेने वालों को रोकने के लिए जगह-जगह पुलिस बल तैनात कर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे।

जब रैली करने वाले लोग 1 और 2 फरवरी की रात्रि में रामपुर तिराहा मुजफ्फरनगर के पास पहुंचे तो पुलिस ने उन्हें रोक लिया और हिरासत में ले लिया। हिरासत में लिए गए 345 लोगों में 47 महिलाएं थीं। हिरासत में ली गई महिलाओं साथ बलात्कार व छेड़छाड़ के मामले सामने आए थे।

सीबीआई के मुताबिक रैली में हिस्सा लेने वालों को ले जा रही एक बस को मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहा पर रोका गया एवं बस के शीशे, हेड लाइट और खिड़की के शीशे तोड़ दिए गए तथा तैनात पुलिस कर्मियों ने रैली में शामिल लोगों के साथ दुर्व्यवहार किया। यह भी आरोप है कि दोनों पुलिसकर्मी पीएसी के थे, जिन्होंने बस में घुसकर पीड़िता के साथ छेड़छाड़ और बलात्कार सहित अपराध किए थे।

इस मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष उत्तराखंड संघर्ष समिति द्वारा याचिका दायर की गई थी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 07 अक्टूबर 1994 के आदेश पर सीबीआई ने प्रारंभिक जांच की। सीबीआई द्वारा प्रस्तुत प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के आधार पर उच्च न्यायालय ने सीबीआई को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया। सीबीआई ने 25 जनवरी 1995 को विभिन्न आरोपों पर मामला दर्ज किया था ।

(Udaipur Kiran) /बिरंचि सिंह

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