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छात्रा से छेड़छाड़ के आरोपित को तीन साल का कठोर कारावास

छात्रा से छेड़छाड़ के आरोपित को तीन साल का कठोर कारावास

बारां, 21 मार्च (Udaipur Kiran) । न्यायालय विशिष्ठ न्यायाधीश लैंगिग अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 तथा बालक अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम 2005 संख्या-एक के विशेष न्यायाधीश हनुमान प्रसाद ने छात्रा से छेड़छाड़ के लगभग तीन वर्ष पुराने मामले का निस्तारण करते हुए आरोपित को तीन वर्ष के कठोर कारावास व 15 हजार के अर्थदंड से दंडित किया है।

विशिष्ट लोक अभियोजक पोक्सो क्रम नं. एक घासीलाल वर्मा ने बताया कि 27 मई 2021 को नाबालिग पीड़िता ने अपने पिता के साथ छीपाबड़ौद पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसमें उसने उल्लेख किया कि वह सरकारी स्कूल में कक्षा आठवीं में पढ़ती है। लगभग एक माह पहले वह मीना बाई की मनिहारी की दुकान पर सामान लेने गई थी। जहां सेतकोलू निवासी आरोपित रामनिवास 28 वर्ष पुत्र हरिनारायण ने वापस आते समय कहा कि वह पीड़िता को पसंद करता है। वह किसे पसंद करती है। जबकि, रामनिवास शादीशुदा है और उसके एक लड़की भी है। पीड़िता ने लड़ाई-झगड़े की वजह से यह बात घरवालों को नहीं बताई। तीन-चार दिन बाद बच्चों के साथ पीड़िता वहां गई तो रामनिवास ने उसे पास के कमरे में बुला लिया और कहा कि वह आरोपित को फोन करे। यही बात दो-तीन बार कहने पर पीड़िता ने हां कह दी। उसी रात 12 बजे घर वालों के सो जाने पर पीड़िता ने पड़ौस के लड़के के मोबाइल से रामनिवास को फोन किया। तब उसने पीड़िता से कहा कि वह उससे प्यार करता है और वह उसके घर पर क्यों नहीं आती। इसके जवाब में पीड़िता ने कहा कि उम्र में बड़ा होने व उसके पत्नी व लड़की होने से वह ऐसे बात नहीं करती। साथ ही, उसे कभी फोन नहीं करने और उसके घर जाने से भी मना करते हुए फोन काट दिया।

यह सब बातें मोबाइल में रिकॉर्ड हो गई। आरोपित रामनिवास की पत्नी के बाहर निकलने का कार्यक्रम था। जिसमें पीड़िता भी गई थी, उस पर दुकान की भी उधार थी। जब वह दुकान वाले कमरे में रामनिवास को पैसे देने गई तो उसने पीड़िता से छेडछाड करने लगा। जैसे-तैसे छूटकर पीड़िता अपने घर आ गई। उसने इस घटना के बारे किसी को नहीं बताया, लेकिन मोबाइल की रिकॉर्डिंग उसने वायरल कर दी। जिसे पीड़िता के घरवालों ने भी सुन लिया। पीड़िता के परिजन आरोपी रामनिवास को समझाने गए, तो वह गालीगलौच करते हुए लड़ने के लिए तैयार हो गया। पुलिस ने आरोप प्रमाणित पाए जाने पर आरोपी के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश किया। जहां न्यायाधीश हनुमान प्रसाद ने आरोपी रामनिवास के खिलाफ आरोप सिद्ध पाए जाने पर धारा 504 में छह माह का साधारण कारावास व पांच हजार के अर्थदंड से दंडित किया। अदम अदायगी अर्थदंड अभियुक्त एक माह का साधारण कारावास पृथक से भुगतेगा। जबकि धारा 7/8 व 11/12 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 के अपराध में आरोपी को तीन-तीन वर्ष का कठोर कारावास व पांच-पांच हजार के अर्थदंड से दंडित किया गया। अदम अदायगी अर्थदंड तीन-तीन माह का साधाराण कारावास अलग से भुगतेगा। उसकी सभी मूल सजाएं साथ-साथ चलेंगी। इस प्रकरण में आरोपित द्वारा पूर्व में पुलिस व न्यायिक अभिरक्षा में बिताई गई अवधि नियमानुसार दी गई मूल सजा में से समायोजित कर दी जाएगी। वहीं अर्थदंड की सम्पूर्ण राशि 15 हजार रुपये न्यायालय में जमा होने पर बाद मियाद अपील नियमानुसार पीड़िता को अदा की जाएगी। साथ ही न्यायाधीश हनुमान प्रसाद ने पीड़िता के साथ घटित अपराध की प्रकृति से उस पर पड़ने वाले शारीरिक व मानसिक दुष्प्रभावों, आयु व अवस्था को दृष्टिगत रखते हुए जुर्माना राशि 15 हजार रूपए के अतिरिक्त एक लाख रुपये दिलाए जाने की अनुशंषा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से की गई है। उन्होंने आदेश में कहा कि पीड़िता घटना के समय 13 वर्ष 10 माह की थी। वर्तमान में भी वह नाबालिग है। अतः उक्त प्रतिकर राशि में से 80 हजार रुपये की एफडी 18 वर्ष की अवधि पूरी करने तक के लिए पीड़िता के नाम उसके पिता या संरक्षक के माध्यम से राष्ट्रीयकृत बैंक में कराई जाए। जिस राशि को पीड़िता वयस्क होने पर प्राप्त करेगी। साथ ही पीड़िता के पढ़ने, स्वास्थ्य आदि के लिए शेष राशि की एफडी उसके पिता/संरक्षक के नाम की जाकर तीन वर्ष पश्चात अदा की जाए।

(Udaipur Kiran) /रोहित/संदीप

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