RAJASTHAN

जीरों टॉलरेंस नीति पर अभियोजन स्वीकृति भारी

जीरों टॉलरेंस नीति पर अभियोजन स्वीकृति भारी

जयपुर, 3 मई (Udaipur Kiran) । केंद्र सरकार ही नहीं बल्कि राज्य सरकार भी कई बार दोहरा चुकी है कि वह भ्रष्टाचार और भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपना रही है। भ्रष्टाचार निरोधक कानून 1988 में संशोधन कर रिश्वत को अपराध श्रेणी में रखा गया है। यह भी व्यवस्था की गई है कि जिन अफसरों के खिलाफ चार्जशीट दायर हो चुकी हो, उनके मामले में कोर्ट का फैसला आने से पहले विभाग कार्रवाई कर सकता है, लेकिन वास्तविकता इससे परे है। प्रदेश में 1 जनवरी 2018 से 2022 तक पांच साल में 300 प्रकरणों में संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए फाइल भेजी गई। इन 300 प्रकरणों से संबंधित विभागों ने मात्र 17 में ही भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को कार्रवाई करने का जवाब भेजा है। ऐसे में सरकार की भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टोलरेंस की नीति पर प्रश्नचिन्ह लगता है।

ब्यूरो की ओर से जारी आधिकारिक आंकडों के अनुसार इन 300 प्रकरणों में 108 मामले पंचायती राज, 58 राजस्व, 30 स्वास्थ्य विभाग और 20 पुलिस विभाग के मामले शामिल है। एसीबी ने साल 2020 में 213, 2021 में 430 और 2022 में 465 भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई की। साल 2024 में अब तक एसीबी 66 कार्रवाई कर चुकी है। इसमें आय से अधिक सम्पति और रिश्वत के मामले शामिल है। वहीं साल 2020 से 22 तक प्रदेश में ऐसे 76 अधिकारी है जिनके खिलाफ सीबीआई चार्जशीट दाखिल कर चुकी है, लेकिन ये अधिकारी अभी भी पद पर बरकरार है। इस दौरान 112 अफसरों के खिलाफ चार्जशीट पेश की गई थी।

भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रावधान के तहत आरोप सिद्ध होने पर सरकार अफसरों को सेवा से हटा सकती है। लेकिन, जीरो टॉलरेंस नीति को सख्त करते हुए यह भी व्यवस्था है कि चार्जशीट दर्ज होने के बाद सरकार अदालती फैसले से पहले ही कार्रवाई कर सकती है। उनके प्रमोशन को सील कवर में बंद रखा जा सकता है। लेकिन सरकार द्वारा जीरो टॉलरेंस नीति के तहत अब तक सख्ती नहीं देखी गई।

(Udaipur Kiran) / राजेश/संदीप

Most Popular

To Top