Haryana

जींद: उचाना शहर के लोगों को मिलेगा बंदर, बेसहारा पशुओं से छुटकारा

जाल में पकड़े गए बंदर।

जींद, 16 मार्च (Udaipur Kiran) । उचाना में काफी लंबे समय से शहर के लोगों के लिए परेशानी का सबब बन रहे बंदरों को पकड़वाने के लिए नपा द्वारा एजेंसी को ठेका दिया गया है। ऐसे ही बेसहारा पशुओं को पकड़वाने के लिए भी ठेका दिया गया है। बंदरों को पकडऩे के बाद यमुनानगर में जंगलों में छोड़ा जाएगा तो बेसहारा पशुओं को गौशालाओं में छोड़ा जाएगा। पहले दिन छह बंदर, तीन बेसहारा पशुओं को पकड़ा गया। पशुओं को उचाना की नंदीशाला में छोड़ा गया।

उचाना निवासी कृष्णा, आत्मप्रकाश, बाला, सरोज ने कहा कि शहर में बंदरों का आंतक निरंतर बढ़ रहा है। काफी लंबे समय से बंदरों को पकड़े जाने की मांग प्रशासन से करते आ रहे है। बंदरों की संख्या बढऩे से बच्चों को गली में खेलने से भी डर लगता है। कई बार बंदर राह चलते हुए लोगों को काट चुके है। ऐसा कोई मोहल्ला नहीं जहां पर बंदरों का आंतक से लोग परेशान न हो। कई बार तो बंदरों की टोलियों के चलते अकेले व्यक्ति का तो आना-जाना मुश्किल हो जाता है।

मकानों पर लगवाने पड़े बंदर जाल

शहर के लोगों ने कहा कि बंदरों का आंतक शहर में इतना बढ़ रहा है कि शहर के काफी संख्या में मकानों पर लोगों ने बंदरों से बचने के लिए लोहे के बंदर जाल लगवा रखे है। एक बंदर जाल पर कम से कम 20 से 50 हजार रुपए तक का खर्चा होता है। बंदरों के चलते आज लोग जाल के अंदर कैद है जबकि बंदर खुले में घूम रहे है। बंदरों को पकड़वाने की मांग नपा द्वारा पूरी करने से लोगों को राहत मिलेंगी। एक हजार से अधिक बंदर शहर में है। उचाना नपा सचिव विक्रमजीत ने बताया कि शहर में बंदरों, बेसहारा पशुओं को पकड़वाने के लिए टेंडर एजेंसी को दिया है। बेसहारा पशुओं को गौशालाओं में तो बंदरों को यमुनानगर के जंगलों में छोड़ा जाएगा।

(Udaipur Kiran) / विजेंद्र

Most Popular

To Top