RAJASTHAN

मशरूम पूर्णतया शाकाहारी उत्पाद, एक झोंपड़ी से शुरू की जा सकती है इसकी खेती

मशरूम पूर्णतया शाकाहारी उत्पाद, एक झोंपड़ी से शुरू की जा सकती है इसकी खेती- प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक डॉ दयाराम

बीकानेर, 15 मार्च (Udaipur Kiran) । स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय में शुक्रवार को ”मशरूम उत्पादन और मूल्य संवर्धन” को लेकर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। मानव संसाधन विकास निदेशालय में आयोजित उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सतीश कुमार गर्ग और विशिष्ठ अतिथि देश में मशरूम मैन नाम से प्रसिद्ध बिहार के डॉ राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर के कृषि वैज्ञानिक डॉ दयाराम थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता एसकेआरएयू कुलपति डॉ अरुण कुमार ने की। विशेष आमंत्रित सदस्यों में कुलसचिव डॉ देवाराम सैनी, वित्त नियंत्रक राजेन्द्र खत्री थे।

देश में मशरूम मैन नाम से प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक डॉ दयाराम ने कहा कि मशरूम पूर्णतया शाकाहारी उत्पाद है और इसकी खेती एक झोंपड़ी से शुरू की जा सकती है। उन्होंने कहा कि तापमान और नमी को कंट्रोल करके मशरूम का उत्पादन कहीं भी संभव है। इसकी प्रोसेसिंग और पैकेजिंग महत्वपूर्ण है। प्रशिक्षण में मशरूम उत्पादन के साथ साथ मशरूम के कोफ्ता, पकोड़ा, अचार, बिस्किट, लड्डू, पनीर समेत विभिन्न उत्पाद बनाने के बारे में बताया जाएगा। उन्होंने बताया कि बिहार में करीब ढाई लाख परिवार मशरूम की खेती से जुड़े हैं और करीब 30 हजार टन मशरूम का उत्पादन करते हैं। डॉ दयाराम ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय की एक सीमा होती है। यहां तकनीक उपलब्ध करवाई जा सकती है लेकिन मशरूम की खेती से बड़ी संख्या में युवाओं और किसानों को जोड़ना होगा। तभी मशरूम की खेती में राजस्थान बहुत आगे जा पाएगा।

एसकेआरएयू कुलपति डॉ अरुण कुमार ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय परिसर में मशरूम यूनिट को आगे बढ़ाने में हर प्रकार का सहयोग किया जाएगा। खासकर मशरूम प्रोसेसिंग और वैल्यू एडिशन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। मशरूम बिस्किट के अलावा मशरूम का अचार समेत विभिन्न उत्पाद तैयार किए जाएंगे। इससे पूर्व कुलसचिव डॉ देवाराम सैनी ने कहा कि आज हर होटल के मेन्यू में मशरूम की सब्जी होती है। उन्हें पता चला कि मशरूम से पनीर, कोफ्ता, पकोड़ा,अचार समेत विभिन्न उत्पाद बनाए जा सकते हैं। प्रशिक्षण ले रहे प्रतिभागी तकनीक का अधिकतम इस्तेमाल कर मशरूम का उत्पादन करें। वित्त नियंत्रक राजेन्द्र खत्री ने कहा कि कृषि में महिलाओं का योगदान सबसे अहम है। कृषि वैज्ञानिकों के सहयोग से वे उत्पादन बढ़ाने में सफल होंगी।

स्वागत उद्बोधन में प्रशिक्षण समन्वयक और पादप रोग विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ दाताराम ने बताया कि 15 से 17 मार्च तक आयोजित इस तीन दिवसीय प्रशिक्षण में कुल 40 प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं। इसे निशुल्क रखा गया है।

(Udaipur Kiran) /राजीव/संदीप

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