Madhya Pradesh

मप्रः आरजीपीवी घोटाले में शामिल वित्त नियंत्रक वर्मा ने किया सरेंडर

– आरजीपीवी में 19.48 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितता का मामला

भोपाल, 22 अप्रैल (Udaipur Kiran) । राजीव गांधी प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) घोटाले में शामिल वित्त नियंत्रक ऋषिकेश वर्मा ने सोमवार को नाटकीय ढंग से जिला अदालत में सरेंडर कर दिया है, जहां विशेष न्यायाधीश ने उन्हें 25 अप्रैल तक की पुलिस अभिरक्षा में भेज दिया है। वहीं, उनकी पत्नी सीमा वर्मा का जमानत आवेदन निरस्त कर दिया गया है। वह पहले से न्यायिक हिरासत में थीं।

गौरतलब है कि आरजीपीवी में 19.48 करोड़ रुपये की आर्थिक अनियमितताओं के मामले में गांधी नगर पुलिस ने केस दर्ज किया है। इस मामले में पूर्व कुलपति सुनील कुमार, एक्सिस बैंक के ब्रांच मैनेजर रामकुमार रघुवंशी, दलित संघ सोहागपुर के कार्यकारिणी सदस्य सुनील रघुवंशी और मयंक कुमार को गिरफ्तार किया जा चुका है और चारों फिलहाल जेल में हैं। एसआईटी ने गत शुक्रवार को आरोपित वित्त नियंत्रक ऋषिकेश वर्मा की पत्नी सीमा को चिनार उपवन दानिश नगर से गिरफ्तार किया था। इसके बाद सोमवार को ऋषिकेश वर्मा ने भी खुद को सरेंडर कर दिया है। अब घोटाले में शामिल तत्कालीन रजिस्ट्रार राकेश सिंह राजपूत फरार हैं।

उक्त मामले की सुनवाई विशेष न्यायाधीश रामप्रसाद मिश्र के न्यायालय में चल रही है। इस दौरान सीमा वर्मा की जमानत याचिका पर उनके वकील ने दलील दी कि सीमा राजधानी के राजा भोज शासकीय स्कूल में शिक्षिका हैं। उनका आरजीपीवी विश्वविद्यालय से कोई संबंध नहीं है। उनके पति ऋषिकेश वर्मा आरजीपीवी विश्वविद्यालय में कार्यरत थे। मामले के सह अभियुक्त मयंक कुमार द्वारा सीमा के अकाउंट में 19 लाख रुपये की राशि डाली गई है, जबकि मयंक कुमार की उसके पति ऋषिकेश वर्मा से कार्यालयीन कार्य के दौरान भेंट हुई थी।

दरअसल, मयंक कुमार ने अपने बैंक के वित्तीय वर्ष का लक्ष्य पूरा करने के लिए अकाउंट खोलने का निवेदन किया गया, जिस पर ऋषिकेश वर्मा ने आरबीएल बैंक में अकाउंट खोलने के लिए आरोपित सीमा का 21 हजार रुपये का चेक मयंक कुमार को दिया था और उसकी जानकारी के बिना 19 लाख रुपये इस अकाउंट में जमा कराए, जिसकी जानकारी कभी नहीं हो पाई। इस दौरान उन्होंने यह भी बताया कि सीमा वर्मा उच्च रक्त चाप एवं अस्थमा की मरीज हैं। इस पर अभियोजन की ओर से लोक अभियोजक पीएन राजपूत ने आपत्ति जताई और कहा कि मामला व्यापक है। गबन की संपूर्ण राशि का पता नहीं चला है। इसलिए आरोपित सीमा जमानत पर छोड़े जाने की दशा में साक्ष्य को प्रभावित कर सकती हैं।

आरजीपीवी घोटाले की जो राशि मयंक कुमार के खाते में ट्रांसफर की गई थी, उसी से सीमा वर्मा के नाम पर 20 लाख रुपये की एफडी बनाई गई थी। घोटाले की जांच में उनका भी नाम सामने आया है। उनके नाम एक्सिस बैंक में 20 लाख रुपये की एफडी बनाई गई थी। एक्सिस बैंक में एफडी कैश कराने के बाद वहां से डीडी बनाकर आरबीएल बैंक में जमा किया गया और 13 मार्च को सीमा के नाम से 20 लाख रुपये की एफडी बनी थी।

(Udaipur Kiran)

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