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लोकसभा चुनाव: बिहार के बक्सर में फिर खिलेगा कमल या महागठबंधन रोकेगा भाजपा का विजय रथ

पटना (बिहार), 19 मार्च (Udaipur Kiran) । राज्य के पश्चिम में उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे बक्सर लोकसभा क्षेत्र में कुल छह विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। महर्षि विश्वामित्र की नगरी बक्सर की पहचान भगवान राम और लक्ष्मण की शिक्षा स्थली के रूप में है। अब सवाल यह है कि यहां एक बार फिर कमल खिलेगा या महागठबंधन भाजपा के विजय रथ को रोकेगा।

साल 2019 के लोकसभा चुनाव के नतीजों पर नजर डालें तो अश्विनी चौबे ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था और जीत का परचम लहराया। उन्होंने राजद उम्मीदवार जगदानंद सिंह को चुनाव में हराया था। इस सीट पर तीसरे नंबर पर बसपा के सुशील कुमार सिंह रहे थे। चौथा नंबर नोटा का रहा था। बक्सर लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें ब्रह्मपुर, डुमरांव, बक्सर, राजपुर और कैमूर जिले का रामगढ़ और रोहतास जिले की दिनारा विधानसभा सीट शामिल हैं।

2019 लोकसभा चुनाव में किसको कितने मत मिले

अश्विनी कुमार चौबे-4,73,053 (जीते)

जगदानंद सिंह-3,55,444 (हारे)

कुल निर्वाचक-18,29,373

कुल वोट-9,86,861

मत का प्रतिशत-53.945

कुल पुरुष उम्मीदवार-15

भौगोलिक दृष्टिकोण से जिले को समझें

बक्सर जिले का क्षेत्रफल क्षेत्रफल 1624 वर्ग किमी है। यहां की आबादी 1706352 है। साक्षरता दर 70.14 प्रतिशत है। जिले में 11 प्रखंड और 1142 गांव हैं। नगर परिषद दो हैं। गंगा नदी के किनारे बसा यह जिला यूपी बॉर्डर से सटा हुआ है। गंगा नदी के उस पार यूपी का बलिया जिला है।

बक्सर लोकसभा सीट पर वर्तमान में केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे सांसद हैं। वह यहां से लगातार दो बार चुनाव जीत चुके हैं। इस सीट पर आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल जोर-शोर से तैयारियों में जुटे हुए हैं। बक्सर में आजादी के पांच साल बाद जब 1952 में पहला चुनाव हुआ था तब बक्सर जिला नहीं बना था। यह शाहाबाद लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा था। साल 1957 में बक्सर अलग लोकसभा क्षेत्र बना। एक समय इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा होता था लेकिन पिछले कई चुनावों से भाजपा इस सीट पर जीत का परचम लहराती रही है। वर्ष 1984 के बाद से यहां से कांग्रेस उम्मीदवार कभी जीत हासिल नहीं कर सके हैं।

राजनीतिक इतिहास

साल 1952 और 1957 के चुनाव को डुमरांव महाराजा कमल सिंह बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव जीते थे। इसके बाद 1962 चुनाव में अनंत शर्मा, 1967 चुनाव में राम सुभग सिंह और 1971 में फिर अनंत शर्मा ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी। वर्ष 1977 के चुनाव में रामानंद तिवारी जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े और विजयी हुए। वर्ष 1980 और 1984 के चुनाव में कमला कांत तिवारी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े और जीत हासिल की।

वर्ष 1989 और 1991 में जो चुनाव हुआ, उसमें कम्युनिस्ट पार्टी के तेज नारायण सिंह विजयी रहे। इसके बाद भाजपा के टिकट पर लालमुनि चौबे लगातार चुनाव 1996 और 2004 में जीते। हालांकि, 2009 के चुनाव में राजद के दिग्गज नेता जगदानंद सिंह चुनाव में विजयी रहे लेकिन 2014 और 2019 में इस सीट पर भाजपा ने फिर कमल खिलाया और अश्विनी चौबे चुनाव में विजयी रहे।

(Udaipur Kiran) / गोविन्द/चंद्र प्रकाश

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