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लम्बी सेवाओं की ओट में अवैध नियुक्ति को वैधानिक मान्यता नहीं दी जा सकती : हाई कोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रयागराज, 14 मार्च (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने एक निर्णय में कहा है कि लम्बी सेवाओं की ओट में किसी अवैध नियुक्ति को वैधानिक मान्यता नहीं दी जा सकती है।

कोर्ट ने 30 वर्ष पहले नियुक्त किए गए अध्यापक की सेवा समाप्ति को वैध माना है। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की पीठ ने जनपद बलिया के श्री चिंतामणि बाबा जूनियर हाईस्कूल में सहायक अध्यापक रहे दिनेश कुमार सिंह की याचिका को खारिज करते हुए दिया है।

एसटीएफ द्वारा प्रदेश भर में जारी गोपनीय जांच में शिक्षक की अवैध बीएड डिग्री चिह्नित की गई थी। बीएसए की जांच के बाद नियोक्ता ने अध्यापक की 30 वर्ष पुरानी नियुक्ति को निरस्त कर दिया था। याची को 1991 में राष्ट्रीय पत्राचार संस्थान कानपुर द्वारा जारी शिक्षा अलंकार डिग्री के आधार पर नियुक्त किया गया था। याची के अधिवक्ता ने कोर्ट से तीन दशक लम्बे अध्यापन कार्य का हवाला देते हुए राहत की मांग की।

वहीं सरकार के अधिवक्ता ने हाई कोर्ट के विनोद कुमार उपाध्याय केस पर विश्वास जताया जिसमें शिक्षालंकार उपाधि को अवैध घोषित करते हुए प्रदेश भर से उक्त डिग्री के आधार पर नियुक्त शिक्षकों को बर्खास्त करने के निर्देश दिए गए हैं। पीठ ने कहा चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने सूर्यप्रकाश पांडे बनाम उत्तर प्रदेश राज्य केस में शिक्षालंकार डिग्री के आधार पर की गई 22 वर्ष पहले की नियुक्ति का निरस्तीकरण वैध माना है। हाई कोर्ट ने भी ऐसे कई मामलों में शिक्षकों को अनुतोष नहीं दिया है। इसलिए याची की बर्खास्तगी में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप कर राहत देना न्यायोचित नहीं है।

(Udaipur Kiran) /आर.एन

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