Uttrakhand

होलाष्टक आरम्भ, शुभ कार्यों पर रोक

हरिद्वार, 17 मार्च (Udaipur Kiran) । इस साल होलिका दहन 24 मार्च को होगा। इसके अगले दिन 25 मार्च को रंग वाली होली खेली जाएगी। होलिका दहन से 8 दिन पहले यानी आज से होलाष्टक की शुरुआत हो गई है। शास्त्रों में फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से लेकर होलिका दहन तक की अवधि को होलाष्टक कहा गया है। होलाष्टक लगते ही शुभ व मांगलिक कार्य वर्जित हो जाते हैं। होलाष्टक के दौरान शुभ कार्यों पर रोक के पीछे पौराणिक मान्यता है कि होली से आठ दिन पहले यानी अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तक विष्णु भक्त प्रह्लाद को काफी यातनाएं दी गई थीं। हिरण्यकश्यप ने फाल्गुन शुक्ल अष्टमी को ही भक्त प्रह्लाद को बंदी बनाया था। इस दौरान प्रह्लाद को जान से मारने के लिए तरह-तरह की यातनाएं दी गई थीं। यातनाओं से भरे उन आठ दिनों को ही अशुभ मानने की परंपरा बन गई।

आठ दिन बाद भक्त प्रह्लाद को जलाने के लिए होलिका उसे अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई थीं, लेकिन देवकृपा से वह स्वयं जल गई और प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ। तभी से भक्त पर आए इस संकट के कारण इन आठ दिनों को होलाष्टक के रूप में मनाया जाता है।

मान्यता है कि होलाष्टक में ही शिवजी ने कामदेव को भस्म किया था। इस अवधि में हर दिन अलग-अलग ग्रह उग्र रूप में होते हैं, इसलिए होलाष्टक में शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं, लेकिन जन्म और मृत्यु के बाद किए जाने वाले कार्य कर सकते हैं।

होलाष्टक में गर्भाधान, पुंसवन, सीमंतोन्नयन, जातकर्म, नामकरण, निष्क्रमण, अन्नप्राशन, चूड़ाकर्म, विद्यारंभ, कर्णवेध, यज्ञोपवीत, वेदारंभ, मुंडन, समावर्तन, विवाह, गृह प्रवेश आदि तमाम शुभ कार्यों का किया जाना निषेध बताया गया है।

(Udaipur Kiran) / रजनीकांत/रामानुज

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