Uttar Pradesh

रामपुर तिराहा कांड में दो सिपाहियों पर दोष सिद्ध, सजा पर 18 मार्च को होगी सुनवाई

प्रतीक चित्र

मुज़फ्फरनगर, 15 मार्च (Udaipur Kiran) । चर्चित रामपुर कांड के 30 साल बाद कोर्ट में दो अभियुक्त दोषी पाए गए हैं। कोर्ट में पीएसी के दो सिपाहियों पर दोष सिद्ध हुआ। अदालत सजा के मामले में 18 मार्च को सुनवाई करेगी।

उत्तराखंड राज्य निर्माण की मांग को लेकर लोग आंदोलन कर रहे थे। एक अक्तूबर 1994 को अलग राज्य की मांग के लिए देहरादून से बसों में सवार होकर आंदोलनकारी दिल्ली के लिए निकले थे। देर रात मुजफ्फरनगर जनपद में रामपुर तिराहा पर पुलिस ने आंदोलनकारियों को रोकने का प्रयास किया। आंदोलनकारियों के नहीं मानने पर पुलिसकर्मियों ने फायरिंग कर दी, जिसमें सात आंदोलनकारियों की मौत हो गई थी। इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई। सीबीआई ने 25 जनवरी 1995 को पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमें दर्ज किए और जांच शुरू कर दी। 30 साल से इन मुकदमों की सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायालय संख्या-7 के पीठासीन अधिकारी शक्ति सिंह की अदालत में चल रही थी। शासकीय अधिवक्ता फौजदारी राजीव शर्मा, सहायक शासकीय अधिवक्ता फौजदारी परवेंद्र सिंह और उत्तराखंड संघर्ष समिति के अधिवक्ता अनुराग वर्मा के अनुसार, अदालत में इस मामले में पीएसी के सिपाही मिलाप सिंह और वीरेंद्र प्रताप पर दोष सिद्ध हुआ है। सजा के प्रश्न पर 18 मार्च को सुनवाई होगी। सिपाही मिलाप सिंह मूल रूप से एटा के निधौली कलां थाना क्षेत्र के होर्ची गांव और सिपाही वीरेंद्र प्रताप मूल रूप सिद्धार्थनगर के गांव गौरी का निवासी है।

(Udaipur Kiran) / डॉ. कुलदीप/सियाराम

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