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महावीर स्वामी के बताए हुए मार्ग पर चलें और शुद्ध व पवित्र जीवन जीएं : अरुण जैन

कौशल 

आरएसएस ने मनाया महावीर स्वामी का जन्म कल्याणक महामहोत्सव

लखनऊ, 22 अप्रैल (Udaipur Kiran) । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) के अखिल भारतीय सह प्रचारक प्रमुख अरूण कुमार जैन ने कहा कि भारत प्राचीन राष्ट्र है। सबसे प्राचीन संस्कृति भारत की है। सम्पूर्ण विश्व को सुख व शांति का संदेश देने का काम भारत ने किया। सत्य,अहिंसा,अपरिग्रह,अत्सेय व क्षमा के सिद्धांत देने वाले महावीर स्वामी ने पूरी दुनिया ही नहीं,अपितु सम्पूर्ण प्राणी समुदाय के कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया।

उन्होंने कहा कि महावीर स्वामी के बताये हुए मार्ग पर चलें और शुद्ध व पवित्र जीवन जीएं। वह सोमवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ लखनऊ विभाग की ओर से आयोजित श्री 1008 भगवान महावीर स्वामी जनकल्याणक महामहोत्सव को संबोधित कर रहे थे।

अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख अरुण जैन ने कहा कि अंग्रेजों ने हिन्दुओं के मन में हीनता का भाव भर दिया था। स्वामी विवेकानन्द ने शिकागों में जाकर हिन्दुत्व का डंका बजाया।

उन्होंने कहा कि धर्म यानी जीवन जीने का सिद्धांत। सनातन धर्म के समान ही जैन धर्म में भी धर्म को परिभाषित करते हुए दस बिंदुओं की व्याख्या की गई है। उन्होंने कहा कि जैन धर्म की कृति अलग है मगर हम सब एक ही हैं। जीवनशैली को शुद्ध और पवित्र बनाने का संदेश जैन धर्म में मिलता है। अहिंसा का जो संदेश जैन तीर्थंकरों ने दिया, वह सबके लिए अनुकरणीय है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अवध प्रान्त के प्रांत प्रचारक कौशल ने कहा कि किसी भी पंथ या धर्म के महापुरुष किसी समाज विशेष के नहीं होते वे सबके लिए कल्याणकारी होते हैं। समाज के हर सदस्य को महापुरुषों के विचारों का अनुसरण करना चाहिये।

उन्होंने कहा महावीर स्वामी जैसे महापुरुषों का धरती पर आने का अर्थ होता है कि उस काल में धर्म की हानि हो रही थी। गीता के श्लोक यदा-यदा हि धर्मस्य…का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि हिन्दू धर्म में भी धर्म की हानि होने पर महापुरुषों के जन्म लेने की बात कही गई है। 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी के जयंती कार्यक्रम को धूमधाम से मनाने का अर्थ ही यही है कि इनके विचारों पर मंथन और चिंतन करते हुए समाज उसे आत्मसात करे।

उन्होंने महावीर जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पिता की मृत्यु के बाद 28 वर्ष की आयु में उनके मन में वैराग्य के भाव जाग गए थे। बड़े भाई के समझाने पर वे दो साल तक संन्यास नहीं ले पाए। मगर 30 वर्ष की आयु पूर्ण होते ही उन्होंने अपने धन-सम्पदा को दान करने के बाद पूर्ण रूप से संन्यास ग्रहण कर लिया। 12 वर्ष पांच महीना और 15 दिन के कठोर तप के बाद उन्हें पूर्ण ज्ञान की प्राप्ति हुई। इसके बाद उन्होंने त्याग, संयम, करुणा, प्रेम और शील जैसे विषयों पर उन्होंने समाज को राह दिखाई। उनके चिंतन और विचार करना चाहिये।

मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित पूर्व न्यायाधीश देवेंद्र कुमार अरोड़ा ने कहा कि आज के समय में महावीर जी का संदेश प्रासंगिक है। जैन धर्म में पौधरोपण का विशेष महत्व बताया गया है। महावीर जी ने व्यक्तियों के गुण और कर्म के आधार पर उनका विश्लेषण किया है।

उन्होंने आगे कहा कि संविधान के भाग छह में भी महावीर जी के चित्रों को प्रकाशित कर उनके दिए गए संदेशों को आदर्श समाज के लिये उपयोगी बताया गया है। जैन धर्म में सत्य, धर्म और न्याय के साथ ही जीवन को जीने का संदेश दिया गया है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. राजशरण शाही ने कहा कि महावीर स्वामी के दर्शनों में भी पर्यावरण पर चिंतन किया गया है। अहिंसा पर दिया गया उनका संदेश विश्व मानवता का कल्याण करता है। मुख्यमंत्री के ओएसडी सरवन सिंह बघेल ने कहा कि महावीर स्वामी ने भारत को विचार दिया। अहिंसा परमो धर्म: ने सम्पूर्ण संसार को एक दृष्टि दी है। वे आध्यात्मिक प्रेरणा के केंद्र हैं।

आरएसएस की ओर आयोजित इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्वयंसेवक एवं जैन समाज के अनेक गणमान्य उपस्थित रहे। कार्यक्रम का प्रारम्भ भगवान महावीर स्वामी की प्रार्थना से किया गया एवं तत्पश्चात कुमारी सृष्टि जैन द्वारा मंगलाचरण प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम अध्यक्षता पवन कुमार जैन ने की। वहीं, कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि विमल श्रीवास्तव, राज्य सूचना आयुक्त वीरेंद्र सिंह, प्रान्त सामाजिक सदभाव प्रमुख राजेन्द्र, प्रशांत भाटिया,विभाग कार्यवाह अमितेश, विभाग प्रचारक अनिल, प्रकाश मिश्रा आदि उपस्थित रहे। समिति द्वारा सभी उपस्थित अतिथियों का प्रतीक चिन्ह एवं अंग वस्त्र भेंट कर स्वागत किया गया।

(Udaipur Kiran) /बृजनन्दन/राजेश

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