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आईपीएचई पर 41वीं स्थायी समिति की पांच दिवसीय बैठक नई दिल्ली में शुरू

बैठक के दौरान आईपीएचई के उपाध्यक्ष नूह वैन होल्स्ट संबोधित करते हुए

नई दिल्ली, 19 मार्च (Udaipur Kiran) । अर्थव्यवस्था में हाइड्रोजन और ईंधन सेल के लिए अंतरराष्ट्रीय भागीदारी (आईपीएचई) पर 41वीं स्थायी समिति की पांच दिवसीय बैठक नई दिल्ली में शुरू हो चुकी है। यह बैठक 22 मार्च तक चलेगी। 18 मार्च को शुरू हुई पांच दिवसीय बैठक में आईपीएचई के उपाध्यक्ष नूह वैन होल्स्ट ने भारत को एक आर्थिक महाशक्ति, वैश्विक अर्थव्यवस्था का एक इंजन और स्वच्छ ऊर्जा के भविष्य को आकार देने में एक निर्णायक खिलाड़ी बताया।

उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर अजय सूद ने बताया कि हालांकि हाइड्रोजन कोई बहुत नई तकनीक नहीं है । हाइड्रोजन मूल्य श्रृंखला में संचालन के प्रमुख क्षेत्रों में पांच घटक उत्पादन, भंडारण, परिवहन, वितरण और खपत शामिल हैं। इसे और अधिक किफायती और स्वच्छ बनाने के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली के अनुसंधान और विकास के डीन प्रो. नरेश भटनागर ने ऊर्जा प्रणालियों और आईआईटी दिल्ली में 750 बार हाइड्रोजन सिलेंडर पर उच्च दबाव भंडारण के विभिन्न विषयों पर संस्थान द्वारा स्नातक, परा-स्नातक और पीएचडी स्तर पर पेश किए जाने वाले पाठ्यक्रमों का उल्लेख किया।

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव सुदीप जैन ने ऊर्जा परिवर्तन और हाइड्रोजन क्षेत्र के विकास को सुविधाजनक बनाने के लिए शैक्षणिक संस्थानों और अनुसंधान संस्थानों के साथ काम, सहयोग और साझेदारी पर जोर दिया। उन्होंने ग्रे हाइड्रोजन से दूर जाने और हरित हाइड्रोजन का बड़ा हिस्सा लाने के महत्व का उल्लेख किया।

अवाडा ग्रुप के मुख्य कार्यकारी अधिकारी किशोर नायर ने ऊर्जा परिवर्तन के लिए भारत और अन्य देशों की पहल और उनकी नेट ज़ीरो प्रतिबद्धताओं के बारे में बात की। उन्होंने शिक्षाविदों, अनुसंधान और नवाचार अध्येताओं से हाइड्रोजन उत्पादन, भंडारण, परिवहन और अनु-प्रयोगों को अधिक कुशल और लागत प्रभावी बनाने के लिए प्रौद्योगिकी विचारों के साथ आने का भी अनुरोध किया।

अपने स्वागत भाषण में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के संयुक्त सचिव अजय यादव ने भविष्य के वैकल्पिक ईंधन के रूप में हरित हाइड्रोजन के महत्व और राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत हरित हाइड्रोजन को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार की द्वारा उठाए गए कदम उल्लेख किया।

आईपीएचई अकादमिक आउटरीच में पहला पैनल चर्चा का विषय विशेषज्ञों को सशक्त बनाना: स्वच्छ व हरित हाइड्रोजन क्षेत्र में कौशल विकसित करना और दूसरा पैनल का विषय भविष्य का अनावरण: स्वच्छ व हरित हाइड्रोजन प्रौद्योगिकी और इसके परिवर्तनकारी अनुप्रयोग रहा। हाइड्रोजन उत्पादन, इसके भंडारण, परिवहन और उपयोग की वर्तमान लागत पर विचार करते हुए पैनल ने प्रौद्योगिकी में सुधार, अनुसंधान और विकास के माध्यम से कुशल उत्पादन व उपयोग और एक नियामक ढांचे के माध्यम से मांग बढ़ाकर इन लागतों को कम करने की आवश्यकता व्यक्त की।

2003 में स्थापित आईपीएचई में 23 सदस्य देश और यूरोपीय आयोग शामिल हैं। यह वैश्विक स्तर पर हाइड्रोजन और ईंधन सेल प्रौद्योगिकियों को आगे बढ़ाने के लिए समर्पित है। द्विवार्षिक आईपीएचई स्थायी समिति की बैठकें सदस्य राज्यों, हित-धारकों और निर्णय निर्माताओं के बीच अंतरराष्ट्रीय सहयोग और समन्वय को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य करती हैं।

ये बैठकें नीति और तकनीकी विकास पर जानकारी के आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करती हैं, जिससे सहयोग के लिए प्रमुख क्षेत्रों की पहचान करने में मदद मिलती है, जो सदस्य राज्यों में बाद की कार्रवाइयों को सूचित करते हैं। इस कार्यक्रम में पोस्टर प्रस्तुतियों और एक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता सहित आकर्षक गतिविधियां भी शामिल थीं, जिसका समापन प्रत्येक प्रतियोगिता में तीन विजेताओं को पुरस्कारों की घोषणा और वितरण के साथ हुआ।

(Udaipur Kiran) / बिरंचि सिंह

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