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दिल्ली हिंसा: अदालत ने उमर खालिद की ओर से दलील सुनी, जमानत याचिका पर 3 अप्रैल को सुनवाई

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नई दिल्ली, 21 मार्च (Udaipur Kiran) । दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली हिंसा मामले के आरोपित उमर खालिद की जमानत याचिका पर उमर खालिद की ओर से दलीलें सुनी। उमर खालिद की ओर से कहा गया कि इस मामले के दूसरे आरोपितों के खिलाफ हमसे गंभीर आरोप हैं और वे जमानत पर हैं। उन्हें तो दिल्ली पुलिस ने आरोपित भी नहीं बनाया था। एडिशनल सेशंस जज समीर बाजपेयी ने जमानत याचिका पर अगली सुनवाई 3 अप्रैल को करने का आदेश दिया।

उमर खालिद की ओर से पेश वकील त्रिदीप पेस ने कहा कि परिस्थिति में बदलाव हुआ है, जिसकी वजह से उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापस लेकर ट्रायल कोर्ट में दाखिल की है। उन्होंने कहा कि जिन तथ्यों के आधार पर तीन आरोपितों को जमानत दी गई, वही तथ्य उमर खालिद के साथ भी हैं। उन्होंने समानता के सिद्धांत की बात करते हुए उमर खालिद को जमानत देने की मांग की। उन्होंने कहा कि उमर खालिद के खिलाफ कोई आतंकी कानून की धारा नहीं लगी है।

पेस ने कहा कि उमर खालिद लगातार जेल में है। उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस ने 15 ऐसे वाकये बताए जिसमें उमर खालिद की संलिप्तता का जिक्र है लेकिन अधिकतर मामलों में कोई गवाह नहीं है। पेस ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने चार व्हाट्सऐप ग्रुप का जिक्र किया है लेकिन उनमें से दो में उमर खालिद था ही नहीं। इन ग्रुप के कई सदस्यों को तो आरोपित तक नहीं बनाया गया। दो ग्रुप में से एक ग्रुप में तो उमर खालिद ने कभी कोई मैसेज नहीं भेजा। चौथे ग्रुप में उमर खालिद ने पांच मैसेज भेजे थे जिसमे तीन गूगल मैप्स थे। एक मैसेज में उमर खालिद ने दिल्ली पुलिस की उस अपील का जिक्र किया है जिसमें प्रदर्शन को बंद करने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि उमर खालिद ने कभी भी हिंसा फैलाने की बात नहीं की।

कोर्ट ने 28 फरवरी को दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था। उमर खालिद ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी जमानत याचिका वापस ले ली थी और कहा था कि अब वे ट्रायल कोर्ट में याचिका दायर करेंगे। उमर खालिद को 2020 के दिल्ली दंगों के पीछे कथित बड़ी साजिश के मामले में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था। फिलहाल उमर खालिद जेल में है।

इससे पहले 18 अक्टूबर 2022 को दिल्ली हाई कोर्ट ने उमर खालिद की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। हाई कोर्ट ने कहा था कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन और उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा दिसंबर 2019 और फरवरी 2020 के बीच हुई बैठकों का नतीजा थी जिनमें उमर खालिद भी शामिल हुआ था। हाई कोर्ट ने कहा था कि उमर खालिद का नाम साजिश की शुरुआत से लेकर दंगा होने तक आता रहा। उमर खालिद व्हाट्सऐप ग्रुप डीपीएसजी और मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑफ जेएनयू का सदस्य था। उमर खालिद ने कई बैठकों में हिस्सा लिया। हाई कोर्ट ने कहा कि अगर चार्जशीट पर भरोसा किया जाए तो ये साजिश की ओर साफ-साफ इशारा कर रहे हैं।

(Udaipur Kiran) /संजय

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