Uttrakhand

सच्ची घटना पर आधारित है ‘दादी इंतजार अपनों का’ शॉर्ट फिल्म

उत्तराखंड के तारकेश्वर की सच्ची घटना पर आधारित है ‘दादी इंतजार अपनों का’ शॉर्ट फिल्म
उत्तराखंड के तारकेश्वर की सच्ची घटना पर आधारित है ‘दादी इंतजार अपनों का’ शॉर्ट फिल्म

– शॉर्ट फिल्म के लेखक एवं निदेशक हैं कृष्णा बगोट

देहरादून, 15 मार्च (Udaipur Kiran) । साशा एनजीओ के शुभारंभ के अवसर पर ‘दादी इंतजार अपनों का’ शॉर्ट फिल्म का प्रीमियर शुक्रवार को संस्कृति विभाग के ऑडिटोरियम में दिखाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। वहीं, कलाकारों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी दी।

यह फिल्म उत्तराखंड के तारकेश्वर की सच्ची घटना पर आधारित है। फिल्म की कहानी को कृष्णा बगोट ने लिखा है और निर्देशन भी किया है। फिल्म की शूटिंग उत्तरकाशी एवं उत्तराखंड के अन्य जगहों पर किया गया है। फिल्म के अन्य कलाकारों में अक्की राजपूत, देव रावत, करण, डॉक्टर महेंद्र राणा, यशोधर प्रसाद डबराल, दीपक देव सागर, सपना पांडे, रितिका पायल राणा, संगीता बहुगुणा, अभिषेक रावत, सूरज आदि लोगों ने अभिनय किया है।

इस फिल्म की कहानी में यह दिखाया गया है कि किस तरह से उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र पलायन की वजह से खाली हो चुके हैं। कहानी में एक परिवार अपने गांव को बरसों पहले छोड़कर विदेश में नौकरी करने चला जाता है एवं वह अपने गांव में अपने माता-पिता को अकेला छोड़ देता है। कई दशक बाद बूढ़ी दादी का पोता विदेश से उत्तराखंड घूमने आता है, तब तारकेश्वर मंदिर में देवता पोते को उसके घर जाने का इशारा देते हैं। पोता अपने गांव जाता है और वहां खंडहर हो चुके घर पहुंचकर वह देखता है कि उसकी दादी (जो गांव वालों के नजर में कई दशक पहले मर चुकी थी) अपने परिवार के लोगों का घर में बैठ इंतजार कर रही थी। जैसे ही पोता अपने दादी के पास पहुंचता है और दादी पोते को गले लगाती है, तभी बूढी दादी पूर्ण रूप से कंकाल में तब्दील होकर जमीन पर भरभरा कर गिर जाती है और यहीं पर यह फिल्म समाप्त हो जाती है।

साशा जॉय एंड पीस एनजीओ के लॉन्च कार्यक्रम से उत्तराखंड की गतिविधियों का शुभारंभ हो चुका है। यह एनजीओ उत्तराखंड के दूर-दराज क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधा को और बेहतर तरीके से लोगों तक पहुंचाएगी। वहीं, पर्यावरण, चाइल्ड एजुकेशन, सोशल अवेयरनेस, स्किल डेवलपमेंट जैसे क्षेत्रों में काम करेगी। इस दौरान पद्मश्री डॉ. प्रीतम भारतवान, पद्मश्री डॉ. सीके एस संजय, संस्कृति कला साहित्य विभाग उत्तराखंड के उपाध्यक्ष मधु भट्ट, महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल आदि थे।

(Udaipur Kiran) / कमलेश्वर शरण/प्रभात

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