Uttar Pradesh

मुख्यमंत्री योगी ने गणेश शंकर विद्यार्थी को दी विनम्र श्रद्धांजलि

मुख्यमंत्री योगी ने गणेश शंकर विद्यार्थी को दी विनम्र श्रद्धांजलि

लखनऊ, 25 मार्च (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को महान स्वाधीनता संग्राम सेनानी, मूल्य आधारित पत्रकारिता के अतुल्य प्रतिमान, प्रखर समाजसेवी गणेश शंकर विद्यार्थी के पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि दी।

मुख्यमंत्री योगी ने सोशल मीडिया पोस्ट एक्स पर लिखा है कि माँ भारती की सेवा में समर्पित आपका संपूर्ण जीवन युगों-युगों तक हम सभी को देश सेवा हेतु प्रेरित करता रहेगा।

गणेश शंकर विद्यार्थी का जन्म 26 अक्टूबर, 1890 को अपनी ननिहाल, प्रयागराज के अतरसुइया मोहल्ले में दुर्गा पूजा पार्क के निकट, एक कायस्थ परिवार में हुआ था। वह रहने वाले मुंशी जयस्थ हथगांव, जिला फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) के निवासी थे। माता का नाम गोमतीदेवी था।

गणेश शंकर विद्यार्थी का जीवन परिचय

1890: 28 अक्टूबर को गणेश शंकर विद्यार्थी का जन्म हुआ

1907: इलाहाबाद(प्रयागराज) के कायस्थ पाठशाला में दाखिला लिया

1911: पंडित महाबीर प्रसाद द्वारा संचालित ‘सरस्वती’ पत्रिका का उप-संपादक बनाये गए

1913: कानपुर वापस आ गए और ‘प्रताप’ साप्ताहिक पत्रिका की स्थापना की और इसके संपादक बन गए

1916: महात्मा गाँधी से पहली बार मिले, स्वतंत्रता आन्दोलन में कूदे

1917-1918: होम रूल मूवमेंट में सक्रियता से भाग लिया

1920: प्रताप में छपे लेखों के कारण अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया

1922: जेल से रिहा हुए पर सरकार ने उन्हें भड़काऊ भाषण देने के आरोप में प्फिर गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया

1925: अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के स्वागत समिति का अध्यक्ष चुने गए

1926-1929: यूनाइटेड प्रोविंस के विधान सभा सदस्य चुने गए

1931: कानपुर के सांप्रदायिक दंगे में 25 मार्च 1931 को इनकी हत्या हो गई

उल्लेखनीय है कि गणेश शंकर विद्यार्थी एक निडर और निष्पक्ष पत्रकार, समाज-सेवी और स्वतंत्रता सेनानी थे। भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन के इतिहास में उनका नाम अजर-अमर है। गणेश शंकर विद्यार्थी एक ऐसे पत्रकार थे, जिन्होंने अपनी लेखनी की ताकत से भारत में अंग्रेज़ी शासन की नींद उड़ा दी थी। इस महान स्वतंत्रता सेनानी ने कलम और वाणी के साथ-साथ महात्मा गांधी के अहिंसावादी विचारों और क्रांतिकारियों को समान रूप से समर्थन और सहयोग दिया। अपने छोटे जीवन-काल में उन्होंने उत्पीड़न क्रूर व्यवस्था के खिलाफ आवाज़ उठाई। उन्होंने उत्पीड़न और अन्याय के खिलाफ में हमेशा आवाज़ बुलंद किया–चाहे वो नौकरशाह, जमींदार, पूंजीपति या उच्च जाति का कोई इंसान हो।

(Udaipur Kiran) /राजेश/राजेश

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