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यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा सहित पांच के खिलाफ भ्रष्टाचार व धोखाधड़ी मामले में चार्ज तय

 भ्रष्टाचार व धोखाधड़ी मामले में चार्ज तय

जयपुर, 16 मार्च (Udaipur Kiran) । जयपुर मेट्रो-द्वितीय की एसीबी कोर्ट ने करीब 18 साल पहले पीएचईडी के पाइप खरीद के 14.14 लाख रुपये के घोटाले के मामले में पंचायत समिति श्रीमाधोपुर, सीकर के तत्कालीन प्रधान झाबर सिंह खर्रा व तत्कालीन विकास अधिकारी उम्मेद सिंह राव सहित पांच जनों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण कानून व धोखाधड़ी के चार्ज तय किए हैं। जिन अन्य के खिलाफ ये चार्ज तय हुए हैं, उनमें पंचायत समिति के तत्कालीन जेएईएन कृष्ण कुमार गुप्ता, तत्कालीन कनिष्ठ लेखाकार नेहरू लाल व बधाला कंस्ट्रक्शन कंपनी के मालिक भैंरूराम भी शामिल हैं।

एसीबी कोर्ट के जज बृजेश कुमार ने फैसले में कहा कि तत्कालीन प्रधान झाबर सिंह खर्रा ने सह आरोपी कृष्ण कुमार गुप्ता व नेहरूलाल के साथ मिलकर 8 मार्च 2006 को आपराधिक षडयंत्र के तहत आपराधिक सहमति से पेयजल आपूर्ति के प्रस्ताव के लिए पंचायत समिति की एक बैठक की। इसके बाद उन्होंने टेंडर में भाग लेने वाले भैंरूराम से आपराधिक षडयंत्र के तहत मिलीभगत व अपने लोक सेवक पद का दुरुपयोग करते हुए टेंडर प्रक्रिया में फर्जीबाड़ा किया। समिति ने भैंरूराम के पीवीसी पाइप का अधिकृत ठेकेदार नहीं होने और इस काम का उसे कोई अनुभव नहीं होने के बाद भी उसे सफल बोलीदाता घोषित कर टेंडर दिया। जिस पर भैंरूराम ने टेंडर के अनुसार 6 केजी क्षमता के पाइप सप्लाई करने की बजाय गोयल पाईप उद्योग से 4 केजी प्रेशर क्षमता के पाइप खरीदे। इन पाइप के लिए गोयल पाइप को 13,24,339 रुपये दिए जबकि भैंरूलाल ने 27,38,477 रुपये का भुगतान उठाया। ऐसे में उन्होंने राजकोष को 14,14,078 रुपये का नुकसान पहुंचाया और ऐसा भ्रष्ट आचरण कर खुद को लाभांवित किया। उनका यह कृत्य पीसी एक्ट व आईपीसी की धारा 120 का अपराध बनाता है। वहीं उन्होंने टेंडर देने में फर्जी दस्तावेजों का भी उपयोग किया है और यह धोखाधड़ी के तहत अपराध है। उनके खिलाफ इस मामले में चार्ज तय करने का पूरा आधार है।

वहीं जांच में आया कि क्रय समिति द्वारा टेंडर लेने से लेकर उसे खोलने तक की पूरी कार्रवाई फर्जी तरीके से की गई थी। क्योंकि पाइप सप्लाईकर्ता भैरूराम के अलावा अन्य दो टेंडरकर्ताओं ने अपने बयानों में कहा कि उन्होंने टेंडर प्रक्रिया में भाग ही नहीं लिया और ना ही टेंडर फॉर्म उन्होंने भरा था। इससे स्पष्ट है कि भैरूराम ने क्रय समिति के सदस्यों से सांठ गांठ कर स्वयं के टेंडर के अतिरिक्त अधिक राशि के दो फर्जी टेंडर तैयार कर जमा कराए, ताकि न्यूनतम राशि होने के कारण वर्क आर्डर उसे ही मिले। गौरतलब है कि सुभाष शर्मा की रिपोर्ट पर एसीबी ने वर्ष 2011 में मामला दर्ज किया था।

(Udaipur Kiran) /पारीक/संदीप

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