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यूपी सरकार के नजूल अध्यादेश की वैधता को चुनौती, राज्य सरकार से चार हफ्ते में जवाब तलब

इलाहाबाद हाईकोर्ट

-सरकार का पक्ष रखने के लिए महाधिवक्ता को नोटिस

प्रयागराज, 21 मार्च (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार के नजूल अध्यादेश के वैधता की चुनौती याचिका को विचारणीय माना और सरकार का पक्ष रखने के लिए आज महाधिवक्ता को नोटिस जारी की है। कोर्ट ने राज्य सरकार से चार हफ्ते में जवाब भी मांगा है और याची को उसके दो हफ्ते में प्रत्युत्तर मांगा है।

मुख्य स्थाई अधिवक्ता द्वारा एडीएम नजूल प्रयागराज के मार्फत दी गई जानकारी का अभी सर्वे हो रहा है। याचियों के खिलाफ कोई उत्पीड़नात्मक कार्रवाई नहीं होगी और न ही ध्वस्तीकरण होगा। इस पर कोर्ट ने कहा है कि याचियों पर उत्पीड़नात्मक कार्रवाई नहीं की जायेगी।

यह आदेश न्यायमूर्ति एस डी सिंह तथा न्यायमूर्ति सुरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने हेमंत गुप्ता, सुनील गुप्ता व हाईकोर्ट के पूर्व जज दिलीप गुप्ता की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। याचिका पर वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी, तरूण अग्रवाल व राज्य सरकार के मुख्य स्थाई अधिवक्ता कुणाल रवि ने पक्ष रखा।

याची का कहना है कि नजूल भूमि को लेकर कोर्ट के फैसले हैं। अर्जी पर विचार करने का आदेश है जो सरकार के समक्ष विचाराधीन है। ऐसे में लाया गया अध्यादेश कोर्ट के फैसलों पर प्रभावी हो रहा है और इसका उद्देश्य कोर्ट के आदेशों को विफल करना है। अध्यादेश याचियों के कानूनी अधिकार मनमाने ढंग से छीनता है। बहस की गई कि अशोक तहलियानी व अमरनाथ भार्गव केस में डिक्री पारित हो चुकी है। सरकार के समक्ष अर्जी लम्बित है। इसलिए अंतरिम राहत पर विचार किया जाय। अध्यादेश से सरकार ने नजूल भूमि को फ्रीहोल्ड करने पर रोक लगा दी है। जिसे चुनौती दी गई है।

(Udaipur Kiran) /आर.एन

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