Jammu & Kashmir

चलत संस्कृत-गुरुकुलम जम्मू में निशुल्क सिखा रहा है संस्कृत

चलत संस्कृत-गुरुकुलम जम्मू में निशुल्क सिखा रहा है संस्कृत

जम्मू, 26 मार्च (Udaipur Kiran) । मंगलवार को एसपी रूरल जम्मू बृजेश शर्मा,जम्मू कश्मीर बैंक की पूर्व चेयरमैन और वर्तमान में जम्मू कश्मीर बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के सदस्य और के छिब्बर और अन्य गणमान्य नागरिको ने बंतलाब में जम्मू में विश्व का पहला चलत् संस्कृत-गुरुकुलम् क्लास का शुभारंभ किया। कार्यक्रम का आयोजन डॉ डैसी परिहार ने किया। इस अवसर पर बृजेश शर्मा ने कहा कि विश्व का पहला चलत् संस्कृत-गुरुकुलम् जम्मू में सिखा रहा है संस्कृत, जिसका शुभारंभ जम्मू कश्मीर के महामहिम उपराज्यपाल मनोज सिन्हा जी ने किया था और ट्रस्ट देववाणी संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए महंत रोहित शास्त्री जी अच्छा कार्य कर रहा है। उन्होंने चूड़ामणि संस्कृत संस्थान की सराहना की।

इस अवसर पर श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के प्रधान महंत रोहित शास्त्री जी ने बताया कि स्वर्गीय डॉ उत्तम चंद शास्त्री पाठक जन्मशताब्दी के निमित्त मोबाइल गुरुकुल का शुभारम्भ किया गया है।मोबाइल गुरुकुलम् संचालित श्रीकैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट, रायपुर, ठठर, जम्मू कश्मीर द्वारा किया जा रहा है यह वाहन ट्रस्ट के सचिव राकेश गंडोत्रा ने दिया है। गांव एवं शहरो में हर जगह निशुल्क देववाणी संस्कृत सिखाई जा रही है ट्रस्ट का मुख्य उद्देश्य है हर घर में संस्कृत हो।

डॉ डैसी परिहार ने कहा कि संस्कृत का विकास करने वाली और संस्कृत से सुसंस्कृत होने वाली संस्कृति आज के युग में भी विश्व शांति और सामजिक विकास का जागरण करती है। इतिहास साक्षी है कि प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक भारत ने कभी किसी अन्य देश की भूमि पर आक्रमण नहीं किया। ऐसे आयोजनों से संस्कृत प्रेमियों का मनोबल बढ़ेगा।

जम्मू कश्मीर बैंक की पूर्व चेयरमैन और वर्तमान में जम्मू कश्मीर बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के सदस्य और के छिब्बर संस्कृत भाषा की लिपि देवनागरी लिपि है।इस भाषा को ऋषि मुनियों ने मन्त्रों की रचना कि लिए चुना क्योंकि इस भाषा के शब्दों का उच्चारण मस्तिष्क में उचित स्पन्दन उत्पन्न करने के लिए अति प्रभावशाली था। इसी भाषा में वेद प्रगट हुए तथा उपनिष्दों, रामायण, महाभारत और पुराणों की रचना की गयी। मानव इतिहास में संस्कृत का साहित्य सब से अधिक समृद्ध और सम्पन्न है। इस कार्यक्रम को करने का मुख्य कारण देववाणी संस्कृत को बढ़ावा देना है।

इस अवसर पर डॉ सत्य प्रिय ने कहा कि संस्कृत भाषा सीखने से मस्तिष्क तेज करने और प्राचीन ग्रंथों और शास्त्रों के बारे में ज्ञान प्राप्त करने में मदद मिलती है जो मुख्य रूप से संस्कृत भाषा में लिखे गए हैं। ऐसे आयोजन से संस्कृत प्रेमियों का मनोबल बढ़ेगा और एकजुट रहने तथा अपनी संस्कृति और अपने नैतिक मूल्यों के संरक्षण के लिए काम करने की अपील की। देववाणी संस्कृत के विकास से हिंदुस्तान को विश्वगुरु बनने का स्वप्न तो साकार होगा ही, दुनिया भी शांति के साथ समग्र विकास के पथ पर अग्रसर होगी।

इस अवसर ट्रस्ट के सदस्य दिल बहादुर सिंह, उत्तम चंद शर्मा, राकेश गंडोत्रा, आदित्य अभराज शर्मा , अजय सिंह आदि उपस्थित।

(Udaipur Kiran)

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