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दिल्ली के सीरियल बम ब्लास्ट मामले के तीन आरोपितों की जमानत याचिका खारिज

दिल्ली हाई कोर्ट फाइल चित्र

नई दिल्ली, 29 अप्रैल (Udaipur Kiran) । दिल्ली हाई कोर्ट ने 2008 में हुए सीरियल बम ब्लास्ट मामले के तीन आरोपितों की जमानत याचिका खारिज कर दी है। जस्टिस सुरेश कैत की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि आरोपितों के खिलाफ आरोप काफी गंभीर हैं, ऐसे में उन्हें जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता है।

हाई कोर्ट ने जिन आरोपितों की जमानत याचिका खारिज करने का आदेश दिया उनमें मुबीन कादर शेख, साकिब निसार और मंसूर असगर पीरभोई शामिल हैं। तीनों आरोपितों ने ट्रायल कोर्ट की ओर से जमानत याचिका खारिज करने के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने कहा कि मुबीन कादर शेख एक क्वालिफायड कंप्यूटर इंजीनियर है और वो इंडियन मुजाहिद्दीन के मीडिया सेल का सक्रिय सदस्य था। उसने बड़ी साजिश के तहत टेरर मेल का टेक्स्ट मैसेज तैयार किया। ऐसे में उसे जमानत पर रिहा करना सही नहीं है।

कोर्ट ने पीरभोई की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि वो पुणे के एक कंपनी के दफ्तर में काम करता था और उसका काम ई-मेल सॉफ्टवेयर डेवलप करने के अलावा प्रॉक्सी सर्वर, वेब प्रॉक्सी सर्वर डेवलप करने का काम था। वो इंडियन मुजाहिद्दीन के मीडिया ग्रुप का नेतृत्व करता था। तीनों की जमानत याचिका का विरोध करते हुए अभियोजन पक्ष ने कहा कि इस मामले में शुरू में 497 गवाहों के परीक्षण होने थे, जिनमें 198 का नाम हटाया गया और 282 गवाहों के परीक्षण हो चुके हैं। केवल 17 गवाह ऐसे हैं जिनका परीक्षण नहीं किया गया है। ट्रायल कोर्ट हर शनिवार को इस मामले की सुनवाई करता है ताकि ट्रायल में तेजी लायी जा सके। ट्रायल भी अपने अंतिम चरण में है।

हाई कोर्ट ने पाया कि इस मामले के आरोपित 2008 से हिरासत में हैं, ऐसे में ट्रायल में तेजी लाने के लिए ट्रायल कोर्ट इस मामले की हफ्ते में दो बार सुनवाई करे।

बतादें कि 2008 में दिल्ली के सीरियल ब्लास्ट में 26 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 135 लोग घायल हुए थे। इस सीरियल ब्लास्ट की जिम्मेदारी इंडियन मुजाहिद्दीन ने ली थी। इस मामले में पांच एफआईआर दर्ज किए गए थे। इस मामले की जांच के दौरान संदिग्ध आतंकियों की तलाश में बाटला हाउस में एनकाउंटर के दौरान एक पुलिस अधिकारी की मौत हो गई, जबकि दो पुलिस अधिकारी घायल हो गए थे।

(Udaipur Kiran) /संजय/आकाश

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