
जम्मू, 26 अप्रैल (Udaipur Kiran) । लद्दाख और तिब्बती देश के अंतिम डोगरा शासक महाराजा हरि सिंह जी की 64वीं पुण्यतिथि के अवसर पर युवा राजपूत सभा जम्मू-कश्मीर (वाईआरएस) ने विक्रम सिंह विक्की की अध्यक्षता में वाईआरएस के कोर कमेटी सदस्यों और हितधारकों सहित टीम के सदस्यों के साथ मुख्य तवी पुल पर महाराजा हरि सिंह जी की प्रतिमा पर उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
महाराजा साहब को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए वाईआरएस के अध्यक्ष विक्रम ने महाराजा हरि सिंह जी के जीवन और जम्मू-कश्मीर की बेहतरी के लिए उनके योगदान और उनके शासनकाल के दौरान उनके द्वारा लागू किए गए क्रांति और सुधारों के बारे में जानकारी दी और इसके अलावा 26 अक्टूबर 1947 को भारत के साथ विलय का निर्णय महत्वपूर्ण निर्णय था और इसी कारण हम गर्व से कहते हैं कि हमें भारत का नागरिक होने पर गर्व है और उनके योगदान और सुधार अविस्मरणीय हैं।
मीडिया को संबोधित करते हुए विक्रम ने कहा कि महाराजा हरि सिंह जी हमारा गौरव हैं और जम्मू-कश्मीर हमारी पहचान है और हमारी भावनाएं और संवेदनाएं सीधे तौर पर उनसे जुड़ी हुई हैं। और केंद्रीय प्रशासन से बड़ी उम्मीदें लगाकर टीम वाईआरएस ने जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग की और महाराजा हरि सिंह जी को सच्ची श्रद्धांजलि दी क्योंकि भाजपा के केंद्रीय प्रशासन ने 26 अक्टूबर को विलय दिवस और 23 सितंबर को महाराजा हरि सिंह जी की जयंती पर अवकाश घोषित किया और जम्मू-कश्मीर के लोगों की लंबे समय से लंबित मांग को पूरा किया।
इसके अलावा टीम वाईआरएस ने प्रशासन से शैक्षणिक पुस्तकों में डोगरा इतिहास, शासकों और योद्धाओं की कहानी और योगदान का वर्णन करने की भी अपील की ताकि वर्तमान और साथ ही आने वाली पीढ़ी हमारी संस्कृति, परंपरा, विरासत, योगदान, बलिदान और डोगराओं के गौरवशाली और ऐतिहासिक इतिहास के बारे में जान सके क्योंकि डोगरा समुदाय का योगदान अविस्मरणीय है और हमारे युवा और आने वाली पीढ़ी डोगरा इतिहास के बारे में अधिक जानती है और हमेशा राष्ट्र के विकास में अपनी सेवाएं और योगदान देती है और हमेशा बेहतर जम्मू-कश्मीर के लिए लड़ती है।
(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा
