Uttar Pradesh

ईद मिलादुन्नबी: वाराणसी में निकला जुलूस-ए-मोहम्मदी, उत्साह से शामिल हुए युवा

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-धार्मिक ध्वज के साथ तिरंगा भी लहराया,हुजूर की आमद मरहबा, सरकार की आमद मरहबा की गूंज

वाराणसी, 16 सितम्बर (Udaipur Kiran) । पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद (स.) की पैदाइश (ईद मिलादुन्नबी) का जश्न सोमवार को पूरी अकीदत और एहतराम के साथ मनाया गया। जोश और खुशी के माहौल में शहर में जगह-जगह से कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच जुलूस-ए-मोहम्मदी निकाली गई। जुलूस में शामिल बच्चों और युवाओं के साथ बुर्जुग भी लकदक कुर्ता पायजामा पहने, सिर पर रंग बिरंगा साफा बांधे इस्लामिक झंडे के साथ राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा लहराते हुए चलते दिखे। जुलूस में हुजूर की आमद मरहबा, सरकार की आमद मरहबा की गूंज के बीच नबी की शान में नातिया कलाम भी युवा और उलेमा पूरे राह पढ़ते रहे।

फज्र की नमाज के बाद उठे जुलूस में बच्चे, युवा और बुर्जुग सभी वाहन व पैदल शामिल रहे। मरकजी दावते इस्लामी जुलूसे मुहम्मदी कमेटी एवं मुफ्ती बोर्ड के सदर की निगरानी में मुख्य जुलूस रेवड़ी तालाब के अजगरी मैदान से उठा। इसमें शिवाला, बजरडीहा, ककरमत्ता, मदनपुरा इलाके के जुलूस भी शामिल हो गए। सभी जुलूस रेवड़ी तालाब के अजगरी मैदान से भेलूपुर, गौरीगंज, रवींद्रपुरी, शिवाला, सोनारपुरा, मदनपुरा, गोदौलिया, चौक, मैदागिन, कबीरचौरा, पियरी होते हुए बेनियाबाग मैदान पहुंचे। रास्तों में विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के कार्यकर्ताओं ने जुलूस में शामिल लोगों को शरबत और पानी पिलाया।

उधर शक्करतालाब, जलालीपुरा, गोलगड्डा, पीलीकोठी, अर्दलीबाजार, हुकुलगंज आदि इलाकों से निकले जुलूस भी बेनिया मैदान पहुंचे थे। बेनियाबाग मैदान में एलेमा ने नबी की पैदाइश पर रोशनी डाली। शायरों ने कलाम पेश किया। वहीं जिले के ग्रामीण अंचल में भी जुलूस ए मोहम्मदी शान से निकाला गया। लोहता बाजार, कोटवा, मंगलपुर आदि गांव से निकले जुलूस में नबी के आमद की खुशी साफ नजर आईं। बड़े, बुजुर्ग, नौजवान और बच्चे पूरी अकीदत से जुलूस में शामिल हुए। लोहता में बड़े, बुजुर्ग और बच्चे सभी हाथों में इस्लामी झंडा लिए नबी के आमद का पैगाम दे रहे थे। डीजे की धुन पर सरकार की आमद मरहबा, दिलदार की आमद मरहबा की सदाओं से सड़कें गुलजार रही। जुलूस में शान से तिरंगा लहराकर कौमी एकता का पैगाम भी दिया गया। जुलूस के दौरान माइक पर नबी की शान में नात और कलाम रास्ते भर लोग पढ़ते हुए चल रहे थे। बच्चों का भी जोश देखते बन रहा था।

(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

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