


गोरखपुर, 19 मई (Udaipur Kiran) । कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल की प्रेरणा से तथा कुलपति प्रो पूनम टंडन के निर्देशन में महिला अध्ययन केंद्र ,दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय तथा हनुमान प्रसाद पोद्दार कैंसर हॉस्पिटल के संयुक्त तत्वाधान में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस, ”yoga for one earth, one health” के संकल्प को साकार करते हुए “योगा फॉर कैंसर प्रिवेंशन एंड क्योर कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में कैंसर पीड़ितों से वार्तालाप के दौरान बताया गया कि कैंसर असाध्य रोग नहीं है, योग के माध्यम से इसे ठीक कर सकते हैं। इसके लिए शरीर को स्वस्थ रखने के साथ मनोबल को भी ऊंचा रखना होगा बताया गया कि योग के साथ आहार की भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य कैंसर पीड़ितों को उनके स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करके, प्रतिरक्षा बूस्ट करने से संबंधित योग अभ्यास कराना है। कार्यक्रम के अगले कड़ी में योग प्रशिक्षिका नीलम ने कहा कि योग कैंसर में लाभप्रद है। इसके बाद सूक्ष्म व्यायाम व प्राणायाम शुरू कराया। योग अभ्यास के शुरुवात में ॐ का उच्चारण कराया।सर्वाइकल कैंसर के लिए गले से सम्बन्धित योग कराया। जिन लोगों को मधुमेह है, उनके लिए भी योग बताया। योग के दौरान अनुलोम विलोम का अभ्यास कराया ताकि अंदर की ऊर्जा शक्ति बढ़ा सके। अनुलोम विलोम शुद्ध ऑक्सीजन शरीर के अंदर ले जाता है तथा अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालता है। कपालभांति प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है तथा शरीर को लगभग 50% रोग मुक्त करता है। गैस तथा तनाव की समस्या से मुक्ति के लिए योग सुझाया गया। व्यायाम से अंदरूनी शक्ति व ऊर्जा शक्ति का संचार होता है।
योग अभ्यास के पश्चात प्रश्न काल का आयोजन किया गया। जिसमें कैंसर पीड़ितों तथा उनके साथ आए परिजनों को प्रश्न पूछने का मौका दिया गया। जिसमें साइटिका से संबंधित योग बताया गया। यह भी बताया गया कि बटरफ्लाई योग युटेरस संबंधित बीमारियों के साथ साइटिका में लाभदायक है।
आहार की महत्ता पर कार्यक्रम संयोजक प्रोफेसर दिव्या रानी सिंह ने बताया कि सुबह का नाश्ता बहुत ही महत्वपूर्ण है। सुबह के समय भोजन राजा की तरह, दोपहर में गरीब की तरह तथा शाम में भिखारी की तरह भोजन करना चाहिए। परम्परागत भोजन की महत्ता को बताते हुए उन्होंने कहा कि थाली में बफ़ौरी, दाल का दूल्हा, फारा, लिट्टी चोखा, तथा रिक्वच को पुनः शामिल करने की जरूरत है। कैंसर से पीड़ित रोगियों में नकारात्मक वातावरण होता है एवं समाज भी उनको उपेक्षा की दृष्टि से देखता है। जिससे उनका जीवन जीना अत्यंत कठिन एवं नारकीय होने लगता है। इस परिस्थिति में ध्यान, प्राणायाम एवं आसन उनके शरीर में हैप्पी हारमोंस जैसे इंडोर्फिन की मात्रा में वृद्धि करके तनाव में कमी लाता है। मेटास्टैसिस में कमी लाकर रिकरेंस ऑफ़ कैंसर सेल्स को रोकता है एवं शरीर में मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित कर डिजनरेशन और रिजेनरेशन ऑफ सेल्स मैं सामंजस्य लाता है। निरंतर कम हो रहे वजन और भूख की कमी को सामान्य स्थिति में लाता है और वही मृत कोशिकाओं को समाप्त कर नई कोशिकाओं के उत्पादन में सहायक होता है। शरीर में रक्त के माध्यम से ऑक्सीजन की सप्लाई शरीर के सभी कोशिकाओं में सम्यक रूप से अंग प्रत्यंगों में होता है। जिससे ऑक्सिजनेशन ऑफ सेल्स द्वारा एवं नकारात्मकता हटने के कारण शरीर में एक सुखद एवं सकारात्मक वातावरण का विकास होता है और कैंसर से मुक्ति मिलती है।
कार्यक्रम में हनुमान प्रसाद पोद्दार कैंसर हॉस्पिटल के प्रबंधक अवनीश पांडे इसके साथ डॉ मुस्तफा खान एवं आयुष श्रीवास्तव भी उपस्थिति रहे। हॉस्पिटल कर्मियों के साथ साथ विभाग की शोध छात्राएं डॉ पूनम, काजोल आर्यन, पल्लवी शर्मा, कीर्ति आदि उपस्थित रही।
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(Udaipur Kiran) / प्रिंस पाण्डेय
