यमुनानगर, 22 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । खेतों में पराली जलाने पर 88 किसानों के खिलाफ दर्ज केसों को रद्द करने की मांग को लेकर किसानों ने लघु सचिवालय के सामने प्रदर्शन किया और जिला उपायुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा।
खेतों में पराली जलाने पर 88 किसानों के खिलाफ दर्ज हुए केसों को रद्द करने की मांग को लेकर मंगलवार को भारतीय किसान यूनियन व शहीद भगत सिंह मोर्चा के किसानों ने संयुक्त रूप से लघु सचिवालय के सामने हरियाणा सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया और जिला उपायुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा।
किसानों का कहना है कि हरियाणा सरकार द्वारा पारित यह आदेश कि अगर कोई किसान खेतों में पराली जलाता है तो उसके खिलाफ केस दर्ज किया जाएगा। दो साल के लिए उसकी फसल को एमएसपी पर नहीं खरीदा जाएगा और पोर्टल से उसकी जमीन का पंजीकरण भी हटा दिया जाएगा। यह एक तुगलकी फरमान है और हम इसका विरोध करते हैं।
किसानों का कहा कि सभी किसान बड़े नहीं होते है जिनके अपने पास अपना ट्रैक्टर व सीड सेपरेटर हो और जो पराली को खेतों से हटाकर अपना खेत तैयार कर सकें। संसाधनों के बिना पराली को हटाया नहीं जा सकता है। छोटे किसान 10 लाख रूपये का ट्रैक्टर और ढाई लाख का सीड सपरेटर नहीं खरीद सकते है। जिस पर खेतों में ही पराली को जलाना किसानों की मजबूरी है।
उनका कहना है कि सरकार एक हजार रूपये का मुआवजा किसान को न देकर किसान से ले और उनका खेत तैयार करके दें। किसानों का कहना है कि सरकार सिर्फ किसानों का शोषण और दमन करती है। जबकि किसानों की यह समस्या साल में केवल 15 दिन होती है और उद्योगों से प्रदूषण की समस्या साल में 365 दिन होती है। सरकार उन पर कार्रवाई नहीं करती और किसानों पर केस दर्ज करती है। सरकार दोहरी नीति अपनाती है। सरकार केवल मीठी बातें कर किसानों का हितैषी बनने की बात करती है जबकि जमीनी स्तर पर उन्हें मारना चाहती है।
(Udaipur Kiran) / अवतार सिंह चुग