यमुनानगर, 18 दिसंबर (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश शेखर यादव के द्वारा संविधान विरोधी और अल्पसंख्यक विरोधी दिए गए बयान के विरोध में अधिवक्ताओं ने जिला उपायुक्त के माध्यम से राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन सौंपा। बुधवार को इस मामले पर विभिन्न अधिवक्ताओं ने संविधान की भावना और अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों के खिलाफ करार देते हुए कहा कि न्यायाधीश शेखर यादव का बयान भारतीय संविधान के मूल्यों, न्याय और समानता के खिलाफ है। यह बयान न केवल अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों का उल्लंघन करता है, बल्कि यह समाज में भेदभाव और घृणा को बढ़ावा देता है।
अधिवक्ताओं ने कहा कि इनके द्वारा दिए गए बयान की हम सख्त निंदा करते है और मांग करते है कि न्यायाधीश अपने बयान के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगे और उनके खिलाफ उपयुक्त कार्रवाई की जाए।
उन्होंने कहा कि संविधान और अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों की रक्षा के लिए न्यायपालिका और सरकार द्वारा सख्त कदम उठाए जाने चाहिए। ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि यह कदम संविधान और समाज की मूल भावना की रक्षा करने के लिए उठाया गया है और इसका उद्देश्य न्यायपालिका की निष्पक्षता और समाज में समरसता को सुनिश्चित करना है। भारतीय न्यायपालिका की हमेशा अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के प्रति सजग रहना चाहिए और समाज में भेदभाव और असहमति की भावना को बढ़ावा नहीं देना चाहिए। सभी अधिवक्ता इस मामले में सख्त कार्रवाई की उम्मीद करते हैं और न्याय की रक्षा करने की अपील करते हैं।
(Udaipur Kiran) / अवतार सिंह चुग