जयपुर, 28 जुलाई (Udaipur Kiran) । श्रावण के महीने में शिव जी की पूजा का विशेष महत्व है। शिव जी की पूजा में शिवलिंग पर बिल्व पत्र चढ़ाने से विशेष पुण्य मिलता है और ये शिवजी अति प्रिय है। श्रावण मास में शिवलिंग का श्रृंगार बिल्व पत्र से किया जाता है। बिल्व पत्र के बिना शिव जी पूजा अधूरी मानी जाती है। शिव जी को प्रसाद अर्पण करते समय प्रसाद के साथ बिल्व पत्र रखा जाता है।
बिल्व पत्र खाने से होता है स्वास्थ्य लाभ ज्योतिषाचार्य शैलेश शास्त्री के बताए अनुसार शिव पूजा में जल के साथ बिल्व पत्र बेहद जरुरी है। शिवलिंग पर चढ़े हुए बिल्व पत्र खाने की भी परंपरा है। बिल्व पत्र के सेवन से स्वास्थ्य लाभ भी मिलता है। ऐसा माना जाता है कि कोई भी जातक जल के साथ सिर्फ बिल्व पत्र शिवलिंग पर चढ़ाता है तो उसे शिव जी की कृपा जल्दी ही प्राप्त होती है।
शिवपुराण के अनुसार बिल्व वृक्ष की जड़ो में गिरीजा, तने में महेश्वरी, शाखाओं में दक्षायनी, पत्तियों में पार्वती और फूलों में गौरी व फलों में देवी कात्यायनी वास करती है। इस वजह से इस वृक्ष को दैवीय वृक्ष भी कहा जाता है। बिल्व पत्र के नियमित सेवन से हमारे शरीर में वात, पित्त और कफ जैसी समस्या से छुटकारा मिलता है। बिल्व पत्र पाचक होते है इससे पेट की गैस की समस्या भी खत्म होती है।
भगवान भोलेनाथ की पूजा –अर्चना में बिल्व पत्र का विशेष महत्व है। लेकिन अष्टमी,चतुदर्शी,अमावस्या और रविवार को बिल्व पत्र नहीं तोड़ना चाहिए। बिल्व पत्र नहीं होने के कारण इन दिनों बाजार से खरीदकर लाए हुए बिल्व पत्र भगवान भोलेनाथ को अर्पण कर सकते है या फिर शिवलिंग पर चढ़ाए गए बिल्व पत्र को बासी नहीं माना जाता है। इन बिल्व पत्रों को धोकर फिर से पूजा के काम में लिए जा सकते है।
शिवपुराण के अनुसार बिल्व वृक्ष को शिवजी का ही रुप माना जाता है। इसे श्रीवृक्ष भी कहते है। श्रीदेवी लक्ष्मी का ही उपनाम है। इस कारण बिल्व वृक्ष की पूजा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है और जातक को उसका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
(Udaipur Kiran)