लखनऊ, 10 सितंबर (Udaipur Kiran) । हर साल लाखों लोग मानसिक तनाव, सामाजिक दबाव और व्यक्तिगत चुनौतियों के कारण आत्महत्या करने पर मजबूर होते हैं। आत्महत्या को लेकर जागरुकता बढ़ाने को लेकर हर साल 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जाता है। यह आत्महत्या की रोकथाम के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। केजीएमयू के मानसिक स्वास्थ्य विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. आदर्श त्रिपाठी बताते हैं कि इसमें 30 प्रतिशत अतिरिक्त योगदान मानसिक बीमारियों का है। उन्होंने बताया कि डिप्रेशन, एंग्जायटी, सायकोटिक डिसऑर्डर, नशे के सम्बंधित बीमारियां जोकि आत्महत्या से सम्बंधित व्यवहार को बढ़ावा देती हैं। ऐसे में मानसिक बीमारियों की पहचान और सही समय पर इलाज़ करवाना भी सुसाइड के केसेस को पर्याप्त ढंग से रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि लोग आत्महत्या का प्रयास आवेश में आकर करते हैं जैसे पारिवारिक झगड़े के बाद, लडाई, ब्रेकअप आदि अगर व्यक्ति कुछ पलों के लिए उस बात से भटक जाए तो ऐसा नहीं करेगा इसलिए सामान्यतः सभी को यह सलाह ही जाती है कोई व्यक्ति यदि परेशान है तो उसकी बात सिर्फ सुन ली जाये। इस बार इस दिवस की थीम है ‘नैरेटिव बदलें जोकि एक महत्वपूर्ण संदेश देता है कि आत्महत्या के बारे में हमारी सोच बदलने की जरूरत है। इस थीम का उद्देश्य आत्महत्या से जुड़े मिथकों को तोड़ना, जागरुकता बढ़ाना और समर्थन के लिए एक ऐसा माहौल का तैयार करना है जिससे आत्महत्याओं को रोका जा सके। इस सम्बन्ध में राज्य कार्यक्रम अधिकारी, राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थय कार्यक्रम कि तरफ से सभी जिलों को इस दिवस पर जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन करने के लिए पत्र जारी किया गया है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के एक्सीडेंटल डेथ एवं सुसाइड रिपोर्ट 2022 के अनुसार देश की सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में आत्महत्या की दर 3.5 है। राज्य में 2022 में कुल 8,176 आत्महत्याएं दर्ज की गयीं, जिसमें 5225 संख्या पुरुषों की रही, वही 2951 आत्महत्या महिलाओं द्वारा कीं गयी। इसमें से 1631 आत्महत्या गृहिणियों की रही, 5162 शादीशुदा जोड़ो की, 1521 बेरोजगार व्यक्ति और 1060 छात्रों की रही। यह आंकड़ा दिखाता है कि सामाजिक और मानसिक दबाव, पारिवारिक समस्याएं और वित्तीय तनाव आत्महत्याओं के पीछे की मुख्य वजह है। महाराष्ट्र में 22,746 लोगों ने आत्महत्या की। तमिलनाडु में 19,834, मध्य प्रदेश में 15,386, कर्नाटक में 13,606, पश्चिम बंगाल में 12,669 लोगों ने आत्महत्या की। देश में होने वाले कुल आत्महत्या के मामलों में 49.3 प्रतिशत आंकड़े सिर्फ इन पांच राज्यों से हैं।
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(Udaipur Kiran) / बृजनंदन यादव