Uttrakhand

कैलाश विदाई के साथ विश्व प्रसिद्ध नंदा लोकजात यात्रा का वैदनी बुग्याल में हुआ समापन, लयबद्ध लोक नृत्य से महिलाओं ने बांधा समा

वैदनी कुंड में पूजा अर्चना के बाद वापस लौटती नंदा की उत्सव डोली।

– अटूट आस्था और विश्वास की यात्रा, वाण गांव लौटी नंदा की उत्सव डोली

गोपेश्वर, 10 सितंबर (Udaipur Kiran) । जय भगौती नंदा, नंदा ऊंचा कैलाश की… नंदा तेरी जात कैलाश लिजोला सजी धजी कै… खोल जा माता खोल भवानी… भादों का मैना की नंदा अष्टमी… मेरी मैत की धियाणी तेरू बाटू हेरदु रोलू… पैर पैर गौरा तु, हाथों की… जैसे मां नंदा के पारंपरिक लोकगीतों और जागरों से चमोली जिले के गांवों में पसरा सन्नाटा टूट गया है। गांव के वीरान पड़े घरों में खुशियां लौट आई है। लोगों का कहना है कि नंदा लोकजात यात्रा से हम अपनी पौराणिक सांस्कृतिक विरासत को न केवल संजो रहे हैं बल्कि इससे गांवों में पसरा सन्नाटा भी रौनक में बदल गया है।

उत्तराखंड के चमोली जिले के पहाड़ इन दिनों नंदा के जयकारों से पूरे नंदामय हो गए हैं। नंदानगर घाट क्षेत्र में कुरुड़ नामक स्थान पर सिद्धपीठ मां भगवती नंदा का मंदिर स्थित है। यहां मां नंदा देवी अपने चतुर्भुज शिलामूर्ति रूप में विराजमान हैं। यहां मां नंदा की डोली दो रूपों कुरुड़-बधाण की मां नंदा राज राजेश्वरी और मां नंदा की दशोली डोली के रूप में निवास करती हैं।

समुद्र तल से 11004 फीट ऊंचाई पर वैदनी बुग्याल स्थित वैदनी कुंड में मंगलवार को विधि-विधान और मंत्रोच्चारण के साथ नंदा देवी कैलाश विदाई के साथ लोकजात यात्रा का समापन हाे गया। भक्तों ने वैदनी पवित्र सरोवर में आस्था की डुबकी लगाई और मां नंदा को कैलाश शिवधाम के लिए विदा किया। नंदा की विग्रह डोली वाण गांव से वैदनी कुंड पहुंची, जहां नंदा की उत्सव डोली ने कुंड की परिक्रमा की। उसके बाद नंदा की उत्सव डोली को नंदा की चौकी पर भक्तों के दर्शनार्थ रखा गया। नं दादेवी के पंडित उमेश कुनियाल ने विधि-विधान से मंत्रोच्चारण संग पूजा अर्चना और अभिषेक करवाया।

नंदा देवी लोकजात के समापन पर ग्रामसभा घेस, बलाण, पिनाऊ, कनोल, कुलिग, सुतोल, वांक, वाण, कुलिग सहित गढ़वाल, कुमाऊं क्षेत्र से पहुंचे चार हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने मां नंदा की पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद लिया। कई श्रद्वालुओं ने वैदनी कुंड में अपने पितरों का श्राद्ध किया। वहीं वेदनी में आयोजित तीन दिवसीय 37वां रूपकुंड महोत्सव विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ संपन्न हो गया है।

नंदा देवी लोकजात यात्रा के अध्यक्ष नरेश चंद्र, मंसाराम गौड़ ने कहा कि नंदा की विग्रह डोली वापस वांक से रात्रि विश्राम के लिए लौट गई है। नंदा की उत्सव डोली ल्वाणी, बमणवेरा, उलंगरा, बेराधार होते हुए 16 सितंबर को अपने ननिहाल देवराडा थराली में प्रवास करेगी। यहीं पर नंदा की छह माह पूजा अर्चना की जाएगी। इस मौके पर महोत्सव के अध्यक्ष कुंवर सिंह, उपाध्यक्ष रघुवीर सिंह, राधा देवी, कलम सिंह बिष्ट, हीरा सिंह, कृष्णा बिष्ट सहित सैकड़ाें भक्त मौजूद थे।

(Udaipur Kiran) / जगदीश पोखरियाल

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