जयपुर, 11 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । विश्व गठिया दिवस हर साल बारह अक्टूबर को गठिया और मस्कुलोस्केलेटल रोगों की जागरूकता बढ़ाने के उदेश्य से मनाया जाता है। गठिया एक गंभीर बीमारी है जो महत्वपूर्ण शारीरिक विकलांगता और भावनात्मक संकट पैदा करके जीवन की गुणवत्ता को कम कर देती है। इस वर्ष की थीम है जॉइंट हैल्थ फॉर आल जिसमे सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना सभी के लिए सुलभ स्वास्थ्य देखभाल और संसाधनों को महत्व दिया जायेगा। लगभग 15 प्रतिशत (यानी 180 मिलियन लोग) भारतीय आबादी गठिया रोग से प्रभावित है-जो की मधुमेह, एड्स और कैंसर जैसी कई बीमारियों से भी अधिक है। यह बच्चों, किशोरों, युवाओं से लेकर मध्यम आयु वर्ग और वृद्ध रोगियों सहित सभी आयु के लोगों को प्रभावित करता है। इस अवसर पर मणिपाल हॉस्पिटल जयपुर के गठिया रोग विशेषज्ञ डॉ. अखिल गोयल ने बताया की की आमजन में इस रोग को लेकर कई भ्रांतियां है उन्हें दूर करने की आवश्यकता है। इसे लेकर आमजन के मन में कई प्रश्न होते है। जैसे की………
गठिया रोग क्या हैं
इसे सामान्य शब्द गठिया के अंतर्गत रखा जाता है। यह एक ऑटोइम्यून बीमारी हैं जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली रोगी के शरीर के प्रति अति सक्रिय हो जाती है जिससे एंटीबॉडी का उत्पादन होता है, जो जोड़ों, फेफड़े, गुर्दे, आंखों, त्वचा आदि जैसे कई अंगों को नुकसान पहुंचाता है।
इसके सामान्य लक्षण क्या हैं
जोड़ों में दर्द, सूजन और अकड़न, गर्दन और पीठ के निचले हिस्से में सुबह-सुबह दर्द और अकड़न, हाथों, घुटनों और पैरों की विकृति, सामान्य शरीर और मांसपेशियों में दर्द, लम्बे समय तक बुखार, अत्यधिक थकान और वजन कम होना, चेहरे और शरीर पर लाल चकत्ते पडना, आंख और मुंह का सूखापन।
गठिया रोग के मुख्य कारण क्या हैं
पर्यावरण और जीवन शैली कारण मोटापा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, धूम्रपान, शराब का सेवन, गतिहीन जीवन शैली, वायु प्रदूषण, बार-बार होने वाला वायरल संक्रमण 2 आनुवंशिक कारक कुछ का पारिवारिक इतिहास रोग के प्रति सकारात्मक होता है जिससे उनमें होने की संभावना ज्यादा हो जाती है। 3. एस्ट्रोजन हार्मोन में वृद्धि के कारण महिलाओं में गठिया रोग अधिक आम है।
उपर्युक्त सभी कारकों का शरीर में एक जटिल संपर्क होता है जिसके परिणामस्वरूप ऑटोइम्यून बीमारियां होती हैं
गठिया रोग के मुख्य प्रकार
गठिया रोग 100 प्रकार से अधिक होते है। जिसमें मुख्यतः ऑस्टियोआर्थराइटिस सबसे आम है, इसके बाद रुमेटीइड आर्थराइटिस, स्जोग्रेन सिंड्रोम, एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस, आर्थराइटिस सोरियाटिक गठिया और एसएलई आते हैं।
गठिया रोग से कैसे बचे
गठिया रोग से बचाव के लिए जरूरी है एक स्वस्थ जीवनशैली और पौष्टिक आहार। फल, सब्जियां, दूध, दही, मछली, दालें, कम नमक और कम कैलोरी वाले आहार को प्राथमिकता देनी चाहिए और तले हुए भोजन और मांस आधारित वस्तुओं से परहेज किया जाना चाहिये। धूम्रपान और शराब के सेवन से बचें। वजन घटाये और नियमित व्यायाम व फिजियोथेरेपी करे।
गठिया रोग का इलाज कैसे किया जाता है
यदि मरीज सही समय पर गठिया रोग विशेषज्ञ के पास पहुंचता है, तो दवाइयों के माध्यम से जोड़ों की क्षती और विकृति को रोका जा सकता है।
मरीजों एवं उनके परिजनों को भी यह समझना होगा कि गठिया को नियंत्रित करने के लिए दवाइयां लंबें समय तक चलती है। इसमें पेन किलर, कम खुराक वाले स्टेरॉयड, रोग को संशोधित करने वाली एंटी-रूमेटिक दवाएं शामिल हैं। बायोलॉजिक्स के रूप में नवीन व आधुनिक दवाएं उपलब्ध हैं जो दर्द से तुरंत राहत देती हैं और रोग को आगे बढ़ने से रोकती है।
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(Udaipur Kiran)