RAJASTHAN

पश्चिमी रेगीस्तान के विकास पर कार्यशाला आयाेजित

विकसित भारत.विकसित राजस्थान 2047 की परिकल्पना पर राजस्थान के पश्चिमी रेगिस्तानी क्षेत्र के लिए कार्यशाला का आयोजन

बीकानेर, 23 जुलाई (Udaipur Kiran) । महाराजा गंगा सिंह सतत् विकास शोधपीठ, महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर एवं यूनिसेफ के संयुक्त तत्वावधान में विकसित भारत-विकसित राजस्थान-2047 की परिकल्पना पर राजस्थान के पश्चिमी रेगीस्तानी क्षेत्र के विकास के लिए कार्यशाला आयोजित हुई।

कार्यशाला की अध्यक्षता विश्वविद्यालय कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित ने की।

आयोजन सचिव डाॅ. संतोष कंवर शेखावत ने बताया कि उद्घाटन सत्र में कुलपति ने कहा कि संगोष्ठी के माध्यम से विकसित भारत-विकसित राजस्थान के संबंध में सुझाव प्राप्त होंगे उन्हें शीघ्र इकजाई कर राज्य सरकार को प्रेषित किये जाएंगे। कुलपति ने पश्चिमी राजस्थान के क्षेत्र, वनस्पतियों तथा जीवों के महत्व के अलावा यहां की विस्तृत संस्कृति व विरासत के बारे में बताया। कुलपति ने कार्यशाला के उद्देश्य के बारे में कहा कि वास्तविक तथ्यों का अन्वेषण कर, उनका दस्तावेजीकरण करें, तत्पश्चात उन पर योजनाएं बनाये। आपने शासन मुक्त शिक्षा व्यवस्था को आवश्यक बताया, और वर्तमान में शिक्षा और स्वास्थ्य को मुख्य समस्याएं बताया।

यूनिसेफ प्रतिनिधि शफकत हुसैन ने भारत और चीन के मध्य विकास माॅडल का तुलनात्मक अध्ययन किया। आपने भारत की विविधताओं एवं चुनौतियों के बारे में वर्णन किया। इसी के साथ राजस्थान सरकार के द्वारा इस कार्यक्रम विकसित भारत, विकसित राजस्थान (परिकल्पना) को करने का संकल्प लिया गया, जिसमें पश्चिमी राजस्थान में आने वाली चुनौतियों व विभिन्न पहलुओं का अध्ययन किया जायेगा। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि प्रो. एच डी चारण ने विकसित भारत 2047 के प्रोग्राम की पृष्ठभूमि के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि संपूर्ण संसार के विकास में भारत का योगदान 30 से 34 प्रतिशत था, जो 1947 में 02 प्रतिशत ही रह गया, इसलिए यह विचार आया कि यदि गुलामी से पूर्व राष्ट्र सक्षम था तो वर्तमान में भी भारत सक्षम हैं, इसिलिए 2021 में नारा दिया गया: सबका विकास, सबका साथ, सबका विश्वास, सबका प्रयास। इसी के साथ उन्होंने 2022 के पंचप्रण के बारे में बताया, जिसमें विकसित भारत, गुलामी की मानसिकता से मुक्ति, भूतकाल पर गौरव, एकता और एकजुटता, नागरिकों की भागीदारी के बिंदु शामिल है। इन्होंने संयोजकता और तकनीकी विकास को समस्याओं का समाधान बताया और कहा कि विकास के लिए सरकार की सोच और सबकी भागीदारी आवश्यक हैं।

संगोष्ठी में संजय के निराला (यूनिसेफ प्रतिनिधि), कुलसचिव हरिसिंह मीना और वित्त नियंत्रक अरविंद बिश्नोई उपस्थित रहे। इंचार्ज महाराजा गंगा सिंह चैयर फाॅर सस्टेनेबल डवलपमेंट प्रो.राजाराम चोयल ने स्वागत भाषण दिया तथा धन्यवाद भाषण डाॅ. संतोष कंवर शेखावत ने दिया।

उद्घाटन सत्र के पश्चात तीन सत्र आयोजित हुए जिसमें प्रथम सत्र पी.बी.एम. के वरिष्ठ चिकित्सक डाॅ. बी.के. गुप्ता ने स्वास्थ्य एवं प्रो. विमला ढुकवाल, अधिष्ठाता-गृह विज्ञान, स्वामी केशवानन्द राज. कृषि विश्वविद्यालय ने पोषण पर तथा द्वितीय सत्र में बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. एच.डी. चारण ने शिक्षा प्रणाली एवं डाॅ. अनुराधा सक्सेना, उप निदेशक, महिला बाल विकास विभाग ने सामाजिक सुरक्षा पर अपने विचार व्यक्त किये।

(Udaipur Kiran) / डॉ राजीव जोशी

Most Popular

To Top