Uttrakhand

कुमाऊँ विवि के महिला अध्ययन केंद्र में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की रोकथाम पर कार्यशाला

कार्यशाला में उपस्थित मुख्य अतिथि एवं केंद्र की निदेशक आदि।

नैनीताल, 28 नवंबर (Udaipur Kiran) । कुमाऊँ विश्वविद्यालय के महिला अध्ययन केंद्र नैनीताल द्वारा कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न की रोकथाम, निषेध और निवारण विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा 25 नवंबर से 10 दिसंबर 2024 तक चलाए जा रहे 16 दिवसीय जागरूकता अभियान के अंतर्गत आयोजित किया गया है।

बताया गया है कि कार्यशाला का उद्देश्य कार्यस्थल पर सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करना है, ताकि सभी कर्मचारी और विद्यार्थी अपने एवं अन्य लोगों के व्यवहार के प्रति सजग हो सकें। कार्यक्रम में बताया गया कि किस प्रकार का शब्द, वाक्य या स्पर्श किसी व्यक्ति के लिए मानसिक तनाव, अवसाद और आर्थिक परेशानी का कारण बन सकते हैं।

कार्यशाला का शुभारंभ महिला अध्ययन केंद्र की निदेशक डॉ. नीता बोरा शर्मा ने करते हुए महिला यौन उत्पीड़न अधिनियम और घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 से जुड़े अपने अनुभव साझा किए। वहीं मुख्य वक्ता अधिवक्ता श्वेता डोभाल ने विशाखा गाइडलाइंस और भंवरी देवी केस का विस्तृत वर्णन किया। बताया कि इन गाइडलाइंस के आधार पर ही यौन उत्पीड़न अधिनियम 2013 बना। इसके सेक्शन नाै के अंतर्गत पीड़ित महिला द्वारा शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। जबकि सेक्शन 12 के तहत लिखित शिकायत दर्ज की जा सकती है, हालांकि झूठी शिकायत करने पर जुर्माने का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने पीओसीएच कमेटी की कार्यप्रणाली के बारे में जानकारी दी, जो यौन उत्पीड़न के मामलों की जांच करती है। साथ ही, पीओसीएच एक्ट 2012 की चर्चा भी की, जो 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों की सुरक्षा के लिए बनाया गया है। कार्यक्रम का संचालन खुशबू आर्या ने किया।

इस अवसर पर डॉ. किरन तिवारी, सत्येंद्र अविनाश, समृद्धि, मीनाक्षी, जगदीश पांडे, राकेश और कृष्णा सहित एमए-महिला अध्ययन पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों के साथ-साथ आईटीईपी, बीबीए और भारतीय शहीद सैनिक विद्यालय के विद्यार्थियों ने भी भाग लिया।

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(Udaipur Kiran) / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी

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