देहरादून, 25 नवंबर (Udaipur Kiran) । ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी में विशेषज्ञों ने लैंडस्लाइड यूसिंग अर्थ ऑब्जर्वेशनल डाटा पर कार्यशाला में छात्र-छात्राओं से तकनीक की मदद से प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए नई खोज करने का आह्वान किया।
सोमवार को ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी में लैंडस्लाइड यूसिंग अर्थ ऑब्जर्वेशनल डाटा पर छह दिवसीय कार्यशाला शुरू हुई। कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को मुख्य अतिथि इसरो के भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान के निदेशक डॉ. आरपी सिंह ने कहा कि नई तकनीकें प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में क्रांतिकारी बदलाव ला रही हैं। ये तकनीकें न केवल खराब मौसम बल्कि भू-स्खलन, साइक्लोन जैसी आपदाओं को पहले ही मानिटरिंग करके अगाह कर देती हैं। डॉ. सिंह ने कहा कि राज्य में भू-स्खलन के अनेक कारण है, लेकिन सबसे बड़ा कारण बढ़ती जनसंख्या है। पहाड़ों पर ज्यादा कंस्ट्रशन होने की वजह से भू-स्खलन हो रहा है। उन्होंने छात्र-छात्राओं को अर्थ ऑब्जर्वेशनल डाटा के बारे में बताते हुए कहा कि इसकी मदद से प्राकृतिक आपदाओं के कारकों को जान पायेंगे। साथ ही उनसे निपटा कैसे जाए और चुनौतियों के बारे में समझ सकेंगे। उन्होंने छात्र-छात्राओं से प्राकृतिक संसाधानों को संरक्षित करने की बात कही।
भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. एनआर पटेल ने कहा कि उत्तराखंड जितना खूबसूरत है, उतना ही चुनौतियों से भरा है। फिर चाहे वो भू-स्खलन हो या बाढ़ आपदा। इससे निपटने से पहले इसको जानना आवश्यक है कि यह आपदाएं बार-बार क्यों आ रही हैं। इसके लिए जरूरी है कि युवा इन क्षेत्रों में शोध करें। ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. नरपिन्दर सिंह ने कहा कि जलवायु परिवर्तन आने वाले समय की एक बड़ी समस्या है। इसके लिए जरूरी है कि ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए जाएं। कार्यशाला का आयोजन ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के सिविल इंजीनियरिंग और पैट्रोलियम इंजीनियरिंग ने इसरो के सहयोग से किया। इसमें सिविल इंजीनियरिंग के एचओडी डॉ. केके गुप्ता,
पेट्रोलियम इंजीनियरिंग के एचओडी डाॅ. विरेन्द्र बहादुर सिंह, संयोजक डॉ. केएस रावत, डॉ. दीपशिखा शुक्ला, डॉ. संजीव कुमार और छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।
(Udaipur Kiran) / राजेश कुमार