– देवी अहिल्या विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह सम्पन्न
भोपाल, 19 सितंबर (Udaipur Kiran) । राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि दीक्षांत समारोह का आयोजन हम सबके लिए गर्व और गौरव का विषय है। दीक्षांत समारोह माता-पिता के त्याग तप, गुरुजन के आशीर्वाद और विद्यार्थी जीवन के अनुशासन और परिश्रम से प्राप्त सफलता का अविस्मरणीय पल है। उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे देश के सर्वांगीण विकास के जवाबदेही से संकल्पबद्ध होकर कार्य करें।
राज्यपाल पटेल गुरुवार को इंदौर में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के मुख्य आतिथ्य में आयोजित देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने इस अवसर पर सभी मेधावी विद्यार्थियों, गुरुजनों और पालकों को हार्दिक बधाई दी। उन्होंने शुभकामनाएँ देते हुए विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य की कामना की।
उन्होंने कहा कि देवी अहिल्या बाई में राजनीतिक, महिला सशक्तिकरण, जनसेवा और देश के धार्मिक एवं आध्यात्मिक उत्थान का जीवंत उत्साह था। विश्वविद्यालय के सभी विद्यार्थियों के लिए यह गौरव की बात है कि वे लोक माता के रूप में विख्यात देवी अहिल्या बाई के नाम पर स्थापित विश्वविद्यालय में अध्ययन कर रहे हैं। देवी अहिल्या बाई की सैकड़ों साल बाद भी जनमानस पूजा करता है, क्योंकि उन्होंने स्वयं को एक ऐसे उदाहरण के रूप में स्थापित किया है, जिसका सब कुछ था, लेकिन स्वयं के लिए कुछ भी नहीं था। उन्होंने वंचित वर्गों को समाज की मुख्य धारा में शामिल करने के प्रयास किए। उन्होंने समाज की सेवा को ईश्वर की सेवा माना था।
राज्यपाल पटेल ने सभी युवाओं से आह्वान किया कि देवी अहिल्याबाई से प्रेरणा लेते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकसित भारत के सपने को पूरा करने में एक निष्ठ, ईमानदार योगदान के लिए संकल्प बद्ध हों प्रयास करें। उन्होंने कहा कि मैं सभी विद्यार्थियों से अपेक्षा करता हूं कि वे अपने माता-पिता और आचार्यों को भगवान समान मानें और देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझकर अच्छी तरह से निभाएं।
दीक्षांत समारोह में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि लोकमाता देवी अहिल्याबाई समाज सुधारक, न्याय प्रियता, स्वराज एवं सुशासन की पुरोधा थीं। देवी अहिल्या बाई ने अपने राज्य के बाहर जाकर लोगों के समग्र कल्याण के लिये भी अनेक काम किये हैं। उनका जीवन हमारे लिए आदर्श और प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने कठिन दौर में शिक्षा हासिल की। वे संघर्षों और कठिनाइयों का सामना करते हुए साहस के साथ आगे बढ़ी है। देवी अहिल्या बाई ने हिमालय की चोटी एवरेस्ट से भी ऊँचा मनोबल लेकर अपना जीवन जिया है। वह हम सब के लिए प्रेरणा का पुंज है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि देश में सबसे पहले मध्यप्रदेश में नई शिक्षा नीति लागू की गई है। राज्य सरकार द्वारा सभी क्षेत्रों में कृत-संकल्पित होकर कार्य किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बौद्धिक सम्पदा पुष्पित और पल्लवित हो रही है। हमारे प्रदेश में अपार बौद्धिक सम्पदा है, जिसका उपयोग प्रदेश के चहुँमुखी विकास के लिये कर रहे है। समारोह में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित पुस्तिका अतिथियों को भेंट की गई।
दीक्षांत समारोह को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी संबोधित किया। समारोह में राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों तथा शोधार्थियों को स्वर्ण तथा रजत पदक वितरित किये। इस अवसर पर केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर, नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार, जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कुलगुरू रेणु जैन सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थी मौजूद रहे।
(Udaipur Kiran) तोमर