






राष्ट्रपति राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में हुईं शामिल
गांधीनगर/अहमदाबाद, 28 फरवरी (Udaipur Kiran) । राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की अध्यक्षता में शुक्रवार काे राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (एनएफएसयू) गांधीनगर का तीसरा दीक्षांत समारोह संपन्न हुआ। इस अवसर पर गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल और गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी उपस्थित रहे। राष्ट्रपति ने दीक्षांत समारोह में विभिन्न पाठ्यक्रमों के 1,562 विद्यार्थियों को डिग्री प्रदान की। इनमें 12 छात्रों को डॉक्टरेट ऑफ फिलॉसफी (पीएचडी), एक छात्र को डॉक्टरेट ऑफ लॉ (एलएलडी) और अन्य छात्रों को डिप्लोमा, स्नातक, स्नातकोत्तर और स्नातकोत्तर डिप्लोमा की डिग्री प्रदान की गई। इसके अलावा, प्रतिभाशाली छात्रों को राष्ट्रपति द्वारा स्वर्ण पदक भी प्रदान किये गये।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने दीक्षांत समारोह में स्नातक छात्रों को बधाई दी। उन्हाेंने डिग्री प्राप्त करने में सफल रहे छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि आइये हम सभी एक संवेदनशील न्याय प्रणाली पर आधारित विकसित भारत के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हों।
राष्ट्रपति ने कहा कि आज दुनिया भर में फोरेंसिक विज्ञान का महत्व बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि आज 15 देशों के 70 से अधिक छात्रों को इस विश्व स्तरीय विश्वविद्यालय से डिग्री भी मिली हैं। इतना ही नहीं, इस विश्वविद्यालय ने सिविल सेवा, भारतीय पुलिस सेवा, वित्त, बैंकिंग, न्यायपालिका समेत महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लगभग 30,000 अधिकारियों को प्रशिक्षित भी किया है।
अपराधियों पर नियंत्रण तथा हाशिए पर पड़े नागरिकों के लिए त्वरित एवं सुलभ न्याय सुनिश्चित करने में फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय की भूमिका महत्वपूर्ण है। देश में फोरेंसिक विज्ञान आधारित पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए मिशन मोड पर काम किया जा रहा है। राष्ट्रपति ने इसके लिए गृह मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय और फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय को बधाई दी।
राष्ट्रपति ने उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से त्वरित और सुलभ न्याय प्रक्रिया के लिए अपने ज्ञान का उचित उपयोग करें। उन्होंने कहा कि निष्पक्ष और त्वरित न्याय आपका लक्ष्य होना चाहिए। उन्हाेंने कहा कि एक जुलाई 2024 भारत के इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण दिन था। इस दिन दंड के बजाय न्याय पर आधारित तीन नए कानून लागू किए गए। इनमें भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023, भारतीय न्यायिक संहिता-2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम-2023 शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि जिन मामलों में सजा सात वर्ष या उससे अधिक है, उनमें अपराध की जांच फोरेंसिक विशेषज्ञों से कराना अनिवार्य करने से इस क्षेत्र के विशेषज्ञों की तत्काल आवश्यकता पैदा होगी। यह आवश्यकता राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय गांधीनगर के माध्यम से पूरी की जाएगी। अच्छे शासन की असली पहचान अपराध पर नियंत्रण, अपराधियों में सजा का डर और नागरिकों में शीघ्र न्याय पाने का विश्वास है। हम विरासत और विकास को मिलाकर एक विकसित भारत का निर्माण करने जा रहे हैं, जिसमें इस विश्वविद्यालय के विद्यार्थी महत्वपूर्ण योगदान देंगे। उन्होंने डिग्री प्राप्त करने वाले सफल विद्यार्थियों में छात्राओं की संख्या अधिक होने पर प्रसन्नता व्यक्त की।
राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि न्याय प्रक्रिया में देरी के अनेक कारणों में एक महत्वपूर्ण कारण यह है कि विश्लेषण और परीक्षण शीघ्रता से नहीं किया जाता। इस प्रक्रिया को राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय के माध्यम से त्वरित किया जाएगा। उन्होंने सभी से अपराधियों की नई तकनीकों से निपटने के लिए अधिक सुसज्जित होने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि ऐसी तैयारी से ही अपराधी अपराध करने से डरेंगे। इतना ही नहीं, न्याय प्रक्रिया भी तेज होगी। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों को उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं।
राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा हम सभी के लिए यह गर्व की बात है कि जिस मिशन और उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस विश्वविद्यालय की स्थापना की थी, आज यह विश्वविद्यालय अपने लक्ष्य की पूर्ति की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है। यह विश्वविद्यालय आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रतिबद्ध और सुसज्जित है। हम सभी का यह परम कर्तव्य है कि अमानवीय गतिविधियों एवं अनैतिक आचरण के माध्यम से समाज को भ्रष्ट करने वाली ताकतों का डटकर मुकाबला करें तथा एक अच्छे समाज की स्थापना करें। इन्हीं विचारों के साथ एनएफएसयू की शुरुआत हुई। आज, छात्र विभिन्न क्षेत्रों में अपने कौशल का विकास कर रहे हैं और डिग्री हासिल कर रहे हैं।
आज का दिन किसी भी विश्वविद्यालय के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। प्राचीन भारत में दीक्षांत समारोह का विशेष महत्व था। क्योंकि, प्रधानाचार्यों ने अपने मिशन को समझा है और छात्रों को तैयार किया है तथा उन्हें सफलता के पथ पर अग्रसर किया है। यह छात्रों के लिए भी गर्व का क्षण है।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने दीक्षांत समारोह में युवा विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि विश्व नेता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात में फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी शुरू करने के अपने विजन के साथ इस क्षेत्र में युवाओं को नए अवसर दिए हैं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री एक दूरदर्शी नेता हैं जो आने वाली चुनौतियों और उनके समाधान के बारे में पहले से ही सोचते हैं। उनकी अंतर्दृष्टि के परिणामस्वरूप गुजरात को दुनिया की पहली फोरेंसिक साइंसेज यूनिवर्सिटी का उपहार मिला है, जिस पर गर्व है। उन्हाेंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्रभाई और गृहमंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में इस विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा हासिल किया है। इतना ही नहीं, विश्वविद्यालय की लोकप्रियता और उपयोगिता दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। विश्वविद्यालय के परिसर देश के अन्य राज्यों और युगांडा में भी संचालित हैं। इसके अलावा अन्य राज्य सरकारों ने भी इस विश्वविद्यालय के साथ 147 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं। उन्हाेंने कहा कि आजादी के स्वर्णिम युग की इस यात्रा में प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश बड़े बदलावों का साक्षी बन रहा है। स्वतंत्रता के बाद पहली बार ऐसे कानून लागू हुए हैं जो दंड के बजाय न्याय प्रदान करते हैं, जैसे भारतीय न्यायिक संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम। मुख्यमंत्री ने डिग्री प्राप्त करने वाले 1,562 विद्यार्थियों और 76 विदेशी विद्यार्थियों को उज्ज्वल पेशेवर कैरियर की शुभकामनाएं दीं। ———————–
(Udaipur Kiran) / हर्ष शाह
