West Bengal

कालीघाट मेट्रो स्टेशन पर गार्ड रेल लगाने का काम रुका, दरवाजों के आकार में भिन्नता बनी समस्या

Metro services increased

कोलकाता, 21 नवंबर (Udaipur Kiran) ।कालीघाट मेट्रो स्टेशन पर यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए गार्ड रेल लगाने की योजना मेट्रो प्रबंधन के लिए मुश्किल बन गई है। दरअसल, विभिन्न रेक (ट्रेन) के दरवाजों के आकार और लंबाई में भिन्नता के कारण इस योजना को पूरा करना चुनौतीपूर्ण हो रहा है। मेट्रो प्रबंधन ने स्क्रिन डोर की तुलना में कम लागत वाले गार्ड रेल का विकल्प चुना था, ताकि रेलवे ट्रैक पर कूदने जैसी घटनाओं को रोका जा सके। लेकिन, इस समाधान को लागू करना आसान साबित नहीं हो रहा है।

उत्तर-दक्षिण मेट्रो लाइन पर तीन प्रकार के एसी रेक चलते हैं—आईसीएफ वेल, आईसीएफ मेधा और डालियान। इनकी क्रमशः 300, 400 और 500 सीरीज की शुरुआत होती है। यात्रियों की भीड़ को ध्यान में रखते हुए इन रेक के दरवाजों के आकार में बदलाव किया गया है।

आईसीएफ वेल रेक : दरवाजे की चौड़ाई 1294 मिमी।

आईसीएफ मेधा रेक : दरवाजे की चौड़ाई 1300 मिमी।

डालियान रेक : दरवाजे की चौड़ाई 1400 मिमी।

इसके साथ ही, विभिन्न रेक की लंबाई और दरवाजों के बीच की दूरी भी अलग-अलग है।

कालीघाट स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर गार्ड रेल लगाने के लिए दरवाजों के आकार और दूरी का समायोजन करना पड़ रहा है। इस वजह से गार्ड रेल के बीच की दूरी लगभग 2400 मिमी हो रही है, जो सामान्य माप से काफी अधिक है। ईस्ट-वेस्ट मेट्रो में यह अंतर सिर्फ 60 सेंटीमीटर है, जबकि यहां यह अंतर लगभग दोगुना हो गया है।

मेट्रो रेक के दरवाजों के बीच अंतर के कारण गार्ड रेल के साथ स्वचालित बूम बार लगाने में भी समस्या आ रही है। इसके चलते गार्ड रेल कई जगहों पर यात्रियों के चढ़ने-उतरने में बाधा पैदा कर रही है।

मेट्रो के अधिकारियों ने बताया कि इस समस्या का समाधान निकालने के लिए विचार-विमर्श जारी है। गार्ड रेल लगाने का काम प्रारंभ होने के बावजूद कालीघाट स्टेशन पर यह कार्य अब तक पूरा नहीं हो सका है। मेट्रो प्रबंधन फिलहाल इस चुनौती का हल निकालने में जुटा है, ताकि यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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