Uttar Pradesh

संभल में 41 तीर्थ चिह्नित, अन्य को तलाशने का काम जारी

संभल के जिलाधिकारी डॉ राजेंद्र पैंसिया

– नगर पालिका क्षेत्र के तीर्थाें और कूपाें को संवारने की जिम्मेदारी पालिका की

संभल, 25 जनवरी (Udaipur Kiran) । सुप्रसिद्ध धार्मिक और ऐतिहासिक नगरी संभल को पर्यटन नगरी के रूप में विकसित करने की कवायद तेज हो गई है। जनपद में 41 तीर्थों को चिह्नित कर लिया गया है तथा अन्य को चिन्हित करने का काम जारी है।

जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने शनिवार को पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि संभल महात्म्य के अनुसार, नगर और उसके आसपास 68 तीर्थ, 19 कूप हैं, जिसमें पांच तीर्थ प्रमुख हैं। सभी 68 तीर्थ को संवारा जाएगा। जो नगर पालिका के क्षेत्र में तीर्थ और कूप आते हैं उनको संवारने की जिम्मेदारी पालिका की रहेगी। वहीं, जाे देहात क्षेत्र में हैं उनको संवारने का काम ग्राम पंचायत और मनरेगा को करना होगा। संभल नगरी को पर्यटन नगरी के रूप में विकसित करने की कार्ययोजना तैयार है।

जिलाधिकारी के अनुसार, प्रशासन द्वारा प्राचीन धरोहर को पुराने स्वरूप में लाने के साथ ही पर्यटकों को उन तक पहुंचाने के लिए मुख्य रास्तों पर नक्शा लगाए जाएंगे, जिससे पर्यटक सीधे उन तीर्थ स्थलों तक पहुंच सकें।

जिलाधिकारी ने बताया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की टीम द्वारा विगत एक माह में चतुर्मुख ब्रह्म कूप आलम सराय, अमृत कूप दुर्गा कालोनी, अशोक कूप मोहल्ला हल्लू सराय, सप्तसागर कूप सर्थलेश्वर मंदिर मोहल्ला कोट पूर्वी, बलि कूप पुरानी तहसील के पास, धर्म कूप स्थित हयातनगर, ऋषिकेश कूप मोहल्ला कोट पूर्वी, पराशर कूप कल्कि मंदिर के पास मोहल्ला कोट पूर्वी, अकर्ममोचन कूप मोहल्ला ठेर, धरणि वाराह कूप मोहल्ला कोट गर्वी, भद्रका आश्रम तीर्थ होज भदेसरा, स्वर्गदीप तीर्थ सती मठ गांव जलालपुर मोहम्मदाबाद, चक्रपाणि तीर्थ गांव जलालपुर मोहम्मदाबाद, प्राचीन कूप स्थित एक रात वाली मस्जिद के पास मोहल्ला कोट गर्वी, प्राचीन कूप स्थित जामा मस्जिद परिसर मोहल्ला कोट गर्वी, प्राचीन कूप स्थित बाल विद्या मंदिर के सामने मोहल्ला चमन सराय, प्राचीन कूप स्थित न्यारियों वाली मस्जिद मोहल्ला खग्गू सराय, प्राचीन कूप गद्दियों वाला मोहल्ला कोट पूर्वी, प्राचीन कूप स्थित सेठों वाली गली मोहल्ला कोट पूर्वी, प्राचीन कूप मोहल्ला डूंगर सराय, प्राचीन मंदिर व कूप मोहल्ला खग्गू सराय, प्राचीन तीर्थ श्मशान अजीजपुर असदपुर संभल इन कूपों और तीर्थों का सर्वे किया जा चुका है।

कलियुग में भगवान कल्कि संभल में होंगे अवतरित

जनपद संभल का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व बहुत अधिक है। वेदों, पुराणों और शास्त्रों के अनुसार जितना महत्व ऐतिहासिक तौर पर राजपूत और मुगलों से जोड़कर दिया जाता है। उससे कहीं ज्यादा महत्व धार्मिक नजरिए से भी दिया जाता है। स्कंद पुराण में उल्लेख है कि कलियुग में भगवान कल्कि संभल में अवतरित होंगे। इसी मान्यता को जोड़कर संभल को देखा जाता है। वंशगोपाल तीर्थ में भगवान श्रीकृष्ण एक रात ठहरे थे और कदंब के वृक्ष के नीचे विश्राम किया था। इन सभी मान्यता को जोड़ने से महत्व ज्यादा बढ़ जाता है। संभल महात्म्य में सभी तीर्थों और कूपों की एक-दूसरे से दिशा और दूरी दर्ज है। गंगा से दूरी और भगवान कल्कि का अवतरण होने वाले स्थान के बारे में भी उल्लेख किया गया है।

सदियों पुराना हैं कोटपूर्वी का प्राचीन कल्कि विष्णु मंदिर

मोहल्ला कोटपूर्वी का प्राचीन कल्कि विष्णु मंदिर सदियों पुराना है। इसकी देखभाल 250 वर्ष से मध्य प्रदेश के अहिल्याबाई होलकर ट्रस्ट द्वारा की जा रही है। कल्कि विष्णु मंदिर के पुजारी पंडित महेंद्र शर्मा का कहना है कि वह एएसआई द्वारा संरक्षित किए जाने की मांग करते चले आ रहे हैं। इस मंदिर की बनावट भी इसके प्राचीन महत्व को दर्शाती है। उन्हाेंने कहा कि इस मंदिर की कार्बन डेटिंग कराई जाए जिससे इसके काल की सही जानकारी सामने आ जाएगी।

(Udaipur Kiran) / निमित कुमार जायसवाल

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