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अजमेर, 3 दिसंबर (Udaipur Kiran) । हमारे समाज और संस्थानों में नेतृत्व वाले क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की अत्यंत आवश्यकता है। सबसे पहली चुनौती महिलाओं के भीतर ही है। उन्हें स्वयं आगे बढ़ना होगा, स्वयं को बदलना होगा और दूसरों के लिए प्रेरणा बनना होगा। यह विचार डीआरडीओ की महानिदेशक (पीसी एवं एसआई) डॉ. चंद्रिका कौशिक ने राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय के महिला प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में व्यक्त किए। सम्मेलन का विषय था **“विमेन इन डिसीजन-मेकिंग एंड लीडरशिप: शैटरिंग स्टीरियोटाइप्स एंड क्रिएटिंग फ्यूचर्स”।**
यह सम्मेलन कुलपति प्रो. आनंद भालेराव के नेतृत्व और भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएसएसआर) के सहयोग से आयोजित किया गया।
डॉ. कौशिक ने कहा कि नेतृत्व का अर्थ केवल लक्ष्य तय करना नहीं है, बल्कि उन्हें हासिल करने के लिए रणनीति बनाना, प्रेरित करना और मार्गदर्शन करना है। उन्होंने भावनात्मक बुद्धिमत्ता, समस्या-समाधान क्षमता, रचनात्मकता और साहस को नेतृत्व के लिए आवश्यक बताया। उन्होंने समाज में समानता स्थापित करने और संगठनात्मक प्रदर्शन को मजबूत करने के लिए महिलाओं की भागीदारी को महत्वपूर्ण करार दिया।
उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय महिलाओं ने संविधान निर्माण से लेकर विविध क्षेत्रों में अपनी भूमिका निभाई है।भावनात्मक बुद्धिमत्ता, सहयोगात्मक दृष्टिकोण, संवाद कौशल और सहनशक्ति जैसी विशेषताएं महिलाओं को नेतृत्व में सक्षम बनाती हैं।
पूर्व मुख्य सचिव उषा शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि महिलाओं को कठिन भूमिकाओं के लिए तैयार होना चाहिए। हमें पुरुषों को यह समझाने की जरूरत है कि महिलाएं समान भागीदार हैं। जब तक पुरुष महिलाओं के अस्तित्व का सम्मान नहीं करेंगे, समाज में वास्तविक बदलाव संभव नहीं है। उन्होंने अपने प्रशासनिक अनुभव साझा करते हुए महिलाओं से अपील की कि वे उद्यमिता कौशल विकसित करें और निर्णय निर्माण की प्रक्रियाओं में आगे आएं।
कुलपति प्रो. आनंद भालेराव ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में विभिन्न महिलाओं की प्रेरक कहानियों का जिक्र किया। उन्होंने विश्वविद्यालय में आर्थिक रूप से कमजोर छात्राओं के लिए दी जा रही छात्रवृत्ति का उल्लेख किया और इसे महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
कार्यक्रम का संचालन जनसंपर्क अधिकारी अनुराधा मित्तल ने किया। संयोजक डॉ. प्रगति जैन ने स्वागत भाषण दिया, और आयोजन सचिव डॉ. गरिमा कौशिक ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण विमेन लीडरशिप इन डायवर्स एरेनास टू फोस्टर क्रिएटिविटी एंड इम्प्रूव डिसीजन-मेकिंग विषय पर पैनल चर्चा रही। इसमें प्रो. बख्तावर महाजन, आईपीएस अधिकारी सुश्री मालिनी अग्रवाल, ट्रांसजेंडर जज जोयिता मंडल और मनोवैज्ञानिक प्रदनया देशपांडे ने अपने विचार साझा किए।
(Udaipur Kiran) / संतोष
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