जयपुर, 30 अगस्त (Udaipur Kiran) । भाद्रपद कृष्ण द्वादशी शुक्रवार को बच्छ बारस के रूप में मनाई गई। पुत्र की दीर्घायु और मंगलकामना के लिए महिलाओं ने सुबह मंगल गीत गाते हुए गाय और बछड़े के भाल पर तिलक लगाकर विधि-विधान से पूजन किया। गायों को चूनरी ओढ़ाई। पूजन के बाद गाय के गोबर से तलाई बनाकर उसमें पानी भरा और बच्छ बारस की कथा का श्रवण किया। बेटों को तलाई के पास बुलाया और आओ रे म्हारा हंसराज, आओ रे म्हारा बच्छराज बोलते हुए बेटों की छोटी अंगुली से तलाई तुड़वाई और प्रसाद खिलाया।
मान्यता है कि बच्छ बारस करने से बेटों की उम्र लम्बी होती है और उनके जीवन में खुशहाली रहती है। जिन महिलाओं के बेटियां ही थी। उन्होंने बेटियों को बेटा मानते हुए उनके हाथ से तलाई तुड़वाकर लड्डू दिए। बच्छ बारस पर चाकू या धारदार किसी चीज का उपयोग नहीं किया गया। इस कारण घरों में मूंग-मोठ की सब्जी, गेहूं की जगह बाजरे की रोटी और कढ़ी बनाई गई। टोंक रोड सांगानेर स्थित श्री पिंजरापोल गोशाला में सुबह से ही महिलाओं का पहुंचना शुरू हो गया। श्री ठाकुर गोविंद देव चतुर्वेद विद्यापीठ सांगानेर के विद्यार्थियों ने नितिन तिवारी के सान्निध्य में में गौमाताओं को गायत्री मंत्र सुनाए। दुर्गापुरा गोशाला, ढेहर का बालाजी स्थित सियारामदास बाबा की बगीची की गोशाला में भी बड़ी संख्या में महिलाएं पहुंची और गाय तथा बछड़े का पूजन किया। जिन मंदिरों और घरों में बछड़े वाली गाय थीं वहां भी महिलाओं ने बच्छ बारस का पूजन किया।
गायों से बहुत प्रेम करते थे कृष्ण
ज्योतिषाचार्य बनवारी लाल शर्मा ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण को गायों से बहुत प्रेम था। वे स्वयं गायों की सेवा करते थे। उन्होंने गाय को माता कहकर उसकी पूजा को प्रतिपादित किया। उनके गायों के प्रति इस प्रेम को देखकर स्वयं कामधेनू ने बहुला गाय का रूप लेकर नंदबाबा की गौशाला में स्थान लिया था।
—————
(Udaipur Kiran)