Chhattisgarh

गर्भ में पल रहे शिशु के चरित्र निर्माण के लिए गर्भ संवाद जरूरी

आंगनबाड़ी केंद्र भोयना में गर्भवती महिलाओं को योग कराती डा सरिता पचौरी।

धमतरी, 28 अक्टूबर (Udaipur Kiran) ।धमतरी जिले में पांच फरवरी से जिले में राष्ट्रीय आयुष कार्यक्रम सुप्रजा चलाया जा रहा। यह कार्यक्रम तीन चरणों में काम कर है। जिसमें गर्भावस्था से पहले, गर्भावस्था के समय और प्रसव उपरांत कार्यक्रम चलाया जा रहा। आयुष, सियान जतन क्लीनिक से मिली जानकारी अनुसार जिला चिकित्सालय धमतरी में सुप्रजा कार्यक्रम के तहत फरवरी से सितंबर 2024 तक कुल 671 महिलाओं ने परामर्श के लिए पंजीयन कराया। जिसमें जुलाई में 67, अगस्त में 62 और सितंबर में 30 महिलाओं ने परामर्श लिया।

जिले में आयोजित हो रहे कार्यक्रम में परामर्श लेने के बाद फालो अप के लिए ज्यादातर महिलाएं पहुंच रही है। जिसके चलते जुलाई में 88, अगस्त में 99 और सितंबर में 83 महिलाएं फालो अप के लिए पहुंची। सुप्रजा कार्यक्रम के तहत धमतरी जिले में अच्छा काम हो रहा है जिसके चलते पूरे प्रदेश में टाप पर है। दिल्ली की टीम भी दो बार सुप्रजा कार्यक्रम की मानिटरिंग के लिए आ चुकी है। और इनके कार्यों की सराहना की है। सुप्रजा कार्यक्रम के माध्यम से मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम करने मदद मिल रही है साथ ही प्रसव के बाद बच्चों में कुपोषण स्तर में कमी लाना है।

नव दंपतियों को प्लान करके बच्चा लेने प्रेरित कर रहे

आयुष विंग के विशेषज्ञ डा सरिता पचौरी ने बताया कि कलेक्टर नम्रता गांधी के मार्गदर्शन में सुप्रजा कार्यक्रम के तहत जिले में युद्ध स्तर पर अभियान चला रहे है। महिला बाल विकास एवं स्वास्थ्य विभाग आपस में समन्वय स्थापित कर सुप्रजा कार्यक्रम पर काम कर रहे। सुप्रजा कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य गर्भवती और शिशुवती माताओं को गर्भ संस्कार देकर गर्भ में पल रहे बच्चे को बौद्धिक और शारीरिक विकास में मदद करना है। उन्होंने बताया कि सुप्रजा कार्यक्रम के तहत नव दंपतियों का पंजीयन कर उन्हें प्लान करके बच्चा लेने प्रेरित कर रहे। ताकि उनके शारीरिक रोग जैसे बीपी, शुगर, थायराइड आदि समस्याओं को मैनेज कर आयुर्वेदिक औषधि, खानपान और योग से उनको ठीक करते है। नवदंपति शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार होकर ही गर्भ धारण करें। जिससे आने वाली पीढ़ी को स्वस्थ और चरित्रवान बने। महिलाओं को गर्भधारण होने के बाद हर माह के अनुसार आहार आहार, विहार और योग करने बता रहे है। गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए गर्भ संवाद बहुत जरूरी है। गर्भ संवाद के द्वारा गर्भवती महिलाओं को महान व्यक्तित्व की कहानी सुननी और पढ़नी चाहिए। मंत्र और श्लोक पढ़े ताकि शिशु का गर्भ में चरित्र निर्माण हो सके। हर महीने विभिन्न ग्रामों में शिविर लगा कर सुप्रजा कार्यक्रम के तहत नव दंपतियों का काउंसलिंग कर रहे है।

(Udaipur Kiran) / रोशन सिन्हा

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