
प्रयागराज, 04 मार्च (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जीएसटी सचल दल कानपुर के जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में आदेश दिया कि अगर करापवंचन की मंशा से माल का कम मूल्य प्रदर्शित करते हुए परिवहन किया जा रहा है तो उसे रोका और सीज किया जा सकता है।
न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल ने यह आदेश जया ट्रेडर्स बनाम एडिशनल कमिश्नर ग्रेड 2 (अपील) के मामले में व्यापारी की याचिका को निरस्त करते हुए दिया। कोर्ट ने कहा कि याची के विरुद्ध कोई विपरीत तथ्य रिकॉर्ड पर आने के बाद अगर उसे अपीलीय अधिकारी के समक्ष चुनौती नहीं दी गई तो बाद में उक्त कार्यवाही को अवैध और मनमाना नहीं कहा जा सकता है। सरकार की तरफ से अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता रवि शंकर पाण्डेय ने याचिका का विरोध किया।
प्रस्तुत मामले में जया ट्रेडर्स एवं चार अन्य फर्मों के द्वारा पश्चिम बंगाल और असम से दिल्ली, पान मसाला और तम्बाकू का परिवहन किया जाना प्रदर्शित किया गया था। जबकि ड्राइवर ने उक्त माल को कानपुर से लोड किया जाना बताया। सभी बिल रु 50,000 से कम होने के कारण कोई ई वे बिल नहीं बनाया गया था। सचल दल ने ड्राइवर के बयान के आधार पर यह माना कि व्यापारी द्वारा गलत प्रपत्रों के आधार पर परिवहन दर्शाया जा रहा है।
व्यापारी द्वारा पश्चिम बंगाल और असम से माल के परिवहन का कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया जा सका जिस पर सचल दल अधिकारी द्वारा प्रपत्रों को वास्तविक ना पाए जाने के आधार पर माल का मूल्य निर्धारित करते हुए, अनुमानित कीमत पर जीएसटी की धारा 129 के अंतर्गत अर्थदंड आरोपित कर दिया था। न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए जया ट्रेडर्स बनाम एडिशनल कमिश्नर ग्रेड 2 (अपील) के मामले में व्यापारी की याचिका को निरस्त कर दिया। व्यापारी की ओर से अधिवक्ता आदित्य पाण्डेय ने पक्ष रखा।
(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे
