एकमुश्त भुगतान लेने के बाद भी दायर भरण-पोषण के दावे की पोषणीयता पर विचार करेगा हाईकोर्ट
जोधपुर, 31 जुलाई (Udaipur Kiran) । मुस्लिम रीति रिवाज को मानने वाले पति-पत्नी के बीच उपजे वैवाहिक विवाद का आपसी समझौते के आधार पर तलाक के जरिए निपटारा होने और पति द्वारा एकमुश्त भरण-पोषण राशि का भुगतान करने के नौ वर्ष बाद तलाकशुदा पत्नी की ओर से दायर भरण-पोषण के दावे की पोषणीयता पर राजस्थान हाईकोर्ट विचार करेगा।
मामले में पति का प्रतिनिधित्व कर रहे राजस्थान हाईकोर्ट के अधिवक्ता रजाक खान हैदर ने अदालत को बताया कि पति-पत्नी दोनों ने वर्ष 2013 में चार गवाहों की मौजूदगी में आपसी सहमति से सौ रुपए के नॉन ज्यूडिशियल स्टाम्प पर तलाकनामा निष्पादित किया था, जिसे नोटेरी पब्लिक द्वारा तस्दीक भी किया गया था। उसी समय पत्नी व नाबालिग पुत्र के जीवन निर्वाह हेतु दोनों पक्षों की सहमति से एकमुश्त भरण-पोषण राशि तय की गई, जिसका भुगतान तत्काल पति द्वारा उसी समय कर दिया गया। तलाकनामे की इबारत के अनुसार पति ने पत्नी को दहेज, स्त्रीधन, मेहर राशि आदि लौटा दी थी। दोनों पक्षों ने यह भी घोषणा की थी कि दोनों पक्षों में अब ना तो कुछ बकाया है और ना ही भविष्य में कोई कानूनी कार्रवाई करने के अधिकार रहेगा।
(Udaipur Kiran) / सतीश